नेताओं को एक-दूसरे के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए: धनखड़

नयी दिल्ली संसद का मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजनीतिक दलों के बीच सौहार्द और परस्पर सम्मान का आह्वान करते हुए कहा है कि नेताओं को एक- दूसरे के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
श्री धनखड़ ने रविवार को यहां राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम के आठवें बैच के प्रतिभागियों के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि एक राजनीतिक दल के नेताओं द्वारा दूसरे दलों के नेताओं द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल किए जाने से संस्कृति का भला नहीं होता।
उन्होंने कहा, “मैं राजनीतिक जगत के सभी लोगों से अपील करता हूँ कि कृपया परस्पर सम्मान रखें। कृपया टेलीविजन पर या किसी भी पार्टी के नेतृत्व के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। यह संस्कृति हमारी सभ्यता का सार नहीं है। हमें अपनी भाषा के प्रति सावधान रहना होगा... व्यक्तिगत हमलों से बचें। मैं राजनेताओं से अपील करता हूँ। अब समय आ गया है कि हम राजनेताओं को गालियाँ देना बंद करें। जब विभिन्न राजनीतिक दलों में लोग दूसरे राजनीतिक दलों के वरिष्ठ लोगों को गालियाँ देते हैं, तो इससे हमारी संस्कृति का भला नहीं होता।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना है कि सभी राजनीतिक दल और प्रत्येक सांसद राष्ट्रवादी है। उन्होंने कहा, “अंततः वह राष्ट्र में विश्वास करते हैं। वह राष्ट्र की प्रगति में विश्वास करते हैं... लोकतंत्र कभी भी ऐसा नहीं होता जहाँ एक ही पार्टी सत्ता में आए। हमने अपने जीवनकाल में देखा है कि परिवर्तन राज्य स्तर पर, पंचायत स्तर पर, नगरपालिका स्तर पर होता है, यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। लेकिन एक बात निश्चित है, विकास की निरंतरता, हमारी सभ्यतागत लोकाचार की निरंतरता होनी चाहिए, और यह केवल एक पहलू से आती है। हमें लोकतांत्रिक संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।”
श्री धनखड़ ने राजनीतिक टकराव को कम करने की अपील करते हुए कहा कि राजनीति कभी भी एकतरफा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “एक समृद्ध लोकतंत्र निरंतर कटुता का माहौल बर्दाश्त नहीं कर सकता... जब आप राजनीतिक कटुता पाते हैं, जब आप राजनीतिक माहौल को एक अलग दिशा में पाते हैं, तो आपका मन विचलित होना चाहिए। मैं देश के सभी लोगों से आग्रह करता हूँ कि राजनीतिक तापमान को कम किया जाना चाहिए। राजनीति टकराव नहीं है, राजनीति कभी भी
