भीलवाड़ा में सिटी बसों का घोटाला:20 सालो से कागजों में दौड़, फैक्टरियों में कमाई

भीलवाड़ा, राजकुमार माली : भीलवाड़ा शहर में सार्वजनिक परिवहन के नाम पर चल रही सिटी बसें पिछले 20 साल से सड़कों से गायब हैं, लेकिन कागजों में निर्धारित रूटों पर दौड़ रही हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि ये बसें जनता की सेवा के बजाय फैक्टरियों, कंपनियों और निजी यात्रा सेवाओं में इस्तेमाल हो रही हैं, जिससे बस संचालक भारी टैक्स चोरी कर रहे हैं। परिवहन विभाग की कथित मिलीभगत ने इस घोटाले को और गंभीर बना दिया है।
टैक्स चोरी का बड़ा खेल
शहर में 24 से अधिक बसों ने सार्वजनिक परिवहन के लिए परमिट ले रखा है, जिन पर केवल 4,200 रुपये सालाना टैक्स लगता है। इसके विपरीत, वाणिज्यिक बसों पर 1.68 लाख रुपये सालाना टैक्स देना पड़ता है। मुनाफे के लिए संचालक इन बसों को सिटी रूटों पर चलाने के बजाय फैक्टरियों और निजी यात्रा सेवाओं में लगा रहे हैं, जिससे लाखों रुपये की टैक्स चोरी हो रही है।
परिवहन विभाग की संलिप्तता?
परिवहन विभाग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि परमिट के बावजूद शहर में एक भी सिटी बस नहीं चल रही। भीलवाड़ा से पुर और सांगानेर के बीच पहले संचालित बसें सालों से बंद हैं, लेकिन कागजों में ये निर्धारित रूटों पर चल रही हैं। यह सवाल उठता है कि विभाग इस अनियमितता पर चुप क्यों है?
जनता पर असर
सिटी बसों के गायब होने से कई इलाकों में सार्वजनिक परिवहन का संकट है। लोग महंगे ऑटो रिक्शा पर निर्भर हैं, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले 20 सालों में सिटी बसें सड़कों पर दिखाई नहीं दीं। एक युवा ने कहा, "कागजों में तो सब कुछ ठीक है, लेकिन सड़कों पर बसें नहीं, सिर्फ ऑटो दिखते हैं।"
कलेक्टर की बैठकों में झूठे आंकड़े
परिवहन विभाग के अधिकारी कलेक्टर की बैठकों में सिटी बसों के आंकड़े पेश करते हैं, जो हकीकत से कोसों दूर हैं। यह ढोंग जनता की सुविधाओं के साथ खिलवाड़ है।
कार्रवाई की मांग
यदि इस घोटाले पर सख्त कार्रवाई हो, तो 20-25 सालों की टैक्स चोरी का जुर्माना वसूलने से परिवहन विभाग को करोड़ों रुपये का राजस्व मिल सकता है। साथ ही, सिटी बसों को फिर से शुरू करने से जनता को सस्ती परिवहन सुविधा मिलेगी। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषी संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
