मांडल में भूचाल! 'दादा' और 'गुंडे' वाली जंग में फंसे विधायक भड़ाना, कसम-धंधे का सियासी खेल!
भीलवाड़ा मांडल ।जिले की मांडल विधानसभा की सियासत में इन दिनों आग लगी हुई है! जनता के बीच से आई एक सनसनीखेज खबर ने पूरे इलाके में तूफान ला दिया है। एक तरफ विधायक उदयलाल भड़ाना हैं, जो धार्मिक मंच से खुद को 'दादा' और 'गुंडा' न होने की सफाई दे रहे हैं। दूसरी तरफ हैं, हिंदू भोज सेना के अध्यक्ष गोपाल गुर्जर, जिन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसी चिंगारी भड़काई है कि अब यह सीधे-सीधे विधायक की कुर्सी तक पहुँचती दिख रही है।
मंदिर में सियासी ड्रामा: भगवान के सामने कसम, जनता हैरान!
भादवी छठ पर पालना देव मंदिर में जो हुआ, उसे देखकर हर कोई सन्न रह गया। यह एक धार्मिक कार्यक्रम था, लेकिन विधायक भड़ाना ने इसे सियासी रणभूमि बना दिया। मंच से माइक थामते ही उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने चीख-चीखकर कहा, "मैं दादा नहीं हूँ, मैं गुंडा नहीं हूँ, मुझे बदनाम मत करो!" उन्होंने यह भी दावा किया कि उन पर कोई आपराधिक केस नहीं है। इस दौरान उन्होंने भगवान देवनारायण की कसम भी खाई, यह कहकर कि गोपाल गुर्जर के जन्मदिन वाले विवाद में उनका कोई हाथ नहीं था। विधायक के इस उग्र रूप ने मौजूद देव भक्तों को चौंका दिया।
सोशल मीडिया पर 'जंग': विधायक के ....!, गुर्जर का बढ़ता ग्राफ!
इस पूरे ड्रामे की जड़ सोशल मीडिया पर चल रही 'जंग' है। गोपाल गुर्जर, जो खुद को गोभक्त और हिंदू योद्धा बताते हैं, ने विधायक भड़ाना के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी है। उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, और इन वीडियो ने विधायक के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब आलम यह है कि विधायक को सार्वजनिक मंच पर अपनी सफाई देनी पड़ रही है। इस घटना को लोग विधायक की 'बौखलाहट' के रूप में देख रहे हैं।
मांडल की गद्दी पर खतरा? जनता का मूड बदला!
अंदरूनी चर्चाओं का मानना है कि विधायक भड़ाना के खिलाफ भारी विरोध है, और गोपाल गुर्जर को एक मजबूत विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। गुर्जर के लगातार वायरल हो रहे वीडियो ने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया है, और माना जा रहा है कि वह भाजपा से टिकट के दावेदार भी हो सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि मांडल की राजनीति में यह 'दादा बनाम गुंडा' की जंग किस दिशा में जाती है। क्या विधायक भड़ाना अपनी कुर्सी बचा पाएंगे, या फिर गोपाल गुर्जर की 'तीखी' जंग उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है - मांडल की सियासत अब पहले जैसी नहीं रही।
