दूध बेचने से मुख्यमंत्री बनने तक, भजनलाल शर्मा का प्रेरक सफर

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। साधारण किसान परिवार में जन्मे भजनलाल शर्मा का जीवन संघर्ष, परिश्रम और संगठनात्मक समर्पण की मिसाल है। चुनौतियों से भरे हालातों में पढ़ाई करते हुए उन्होंने बाइक से राजनीति की राह पकड़ी और सरपंच पद से चलते हुए मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्ष के दिनों में चाय बेचने की कहानी की तरह ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का जीवन भी आम लोगों के लिए प्रेरणा है। एक समय ऐसा भी रहा जब उन्होंने दूध बेचकर परिवार की जिम्मेदारियां निभाईं। उनका जीवन कृषि से जुड़ा रहा और पिता किशनस्वरूप शर्मा के साथ खेतों में हाथ बंटाते हुए उन्होंने मेहनत और अनुशासन का पाठ सीखा।
चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर के भजनलाल शर्मा अपने पिता के इकलौते पुत्र हैं। उनका पैतृक गांव नदबई विधानसभा क्षेत्र का अटारी है। वर्ष 2000 में उन्होंने सरपंच पद से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसके बाद 2003 में नदबई विधानसभा से चुनाव लड़ा, हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और संगठन में सक्रिय रहकर अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
करीबी बताते हैं कि गांव से निकलने के बाद वे भरतपुर में रिश्तेदार रामेश्वर ठेकेदार के यहां कृष्णा नगर हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में किराये के मकान में रहे। यहां उन्होंने कुछ समय तक गौ पालन भी किया और दूध बेचकर अपनी जरूरतें पूरी कीं। इसी दौरान संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय रहते हुए उन्होंने खुद को पार्टी में मजबूत आधार प्रदान किया।
15 दिसंबर 1968 को अटारी गांव में जन्मे भजनलाल शर्मा का जीवन प्रारंभ से ही संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच तक पढ़ाई की, इसके बाद बछामदी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय और फिर नदबई के राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय में अध्ययन किया। वर्ष 1984 में दसवीं और 1986 में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।
उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने 1989 में भरतपुर के महाराजा श्रीजया महाविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1993 में राजस्थान विश्वविद्यालय से नॉन कॉलेज स्टूडेंट रहते हुए राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। नदबई युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष पद से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन्होंने संगठन में अपनी पहचान बनाई।
आज मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने के बावजूद भजनलाल शर्मा का जीवन सफर यह संदेश देता है कि साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर भी मेहनत, लगन और संगठनात्मक विश्वास के बल पर असाधारण मुकाम हासिल किया जा सकता है।
