गणपति बप्पा मोरया.. अगले बरस जल्दी आ: अनंत चतुर्दशी पर भीलवाड़ा जिलेभर में बूंदाबांदी के बीच बप्पा को दी गई भावपूर्ण विदाई

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भीलवाड़ाहलचल । शनिवार को जिलेभर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन बड़े ही धार्मिक उल्लास और श्रद्धा के साथ किया गया। पूरे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों, भजनों और डीजे की धुन के बीच नाचते-गाते हुए अपने प्रिय गणपति बप्पा को विदाई देने निकले। हालांकि इस वर्ष लगातार बारिश के कारण शोभायात्राओं में पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत कम भीड़ थी, लेकिन श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति की गूंज कम नहीं हुई।

शहर के विभिन्न मोहल्लों और गणेश मंडलों से शोभायात्राएं निकाली गईं, जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और युवा श्रद्धालु शामिल हुए। सभी “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयघोष करते हुए अपने आस्था और प्रेम का इजहार कर रहे थे। जगह-जगह ढोल-ताशों की थाप और भजनों की गूंज ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस बार कोठारी नदी पर विसर्जन का दृश्य विशेष रूप से मनोहारी था, जहां प्रतिमाएं पानी में उतरते ही श्रद्धालुओं के चेहरों पर आनंद और भावुकता के रंग भर दिए।




शहर में विशेष कुंडों में विसर्जन

श्री गणेश उत्सव प्रबंध एवं सेवा समिति द्वारा आयोजित 10 दिवसीय गणेश महोत्सव में शहर की विभिन्न कॉलोनियों में स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विधिवत हवन, पूजन और महाआरती के बाद शनिवार को धूमधाम से सामूहिक शोभायात्रा निकाली गई। गणेश चतुर्थी से चल रहे उत्सव का यह अंतिम चरण था। चंद्र ग्रहण के कारण प्रतिमाओं का विसर्जन समय से पहले किया गया।

तेजाजी चौक स्थित गणेश घाट पर विशाल वटवृक्ष के नीचे पक्षियों की चहचहाहट के बीच प्रतिमाओं को एकत्र कर महाआरती का आयोजन किया गया। इसके पश्चात प्रतिमाओं को हरनी महादेव रोड स्थित काइन हाउस में बनाए गए विशेष कुंड में विसर्जित किया गया। इन कुंडों की शुद्धिकरण प्रक्रिया के लिए गोमूत्र, गंगाजल और गुलाबजल का प्रयोग किया गया।





इस बार नदियों में विसर्जन

भीलवाड़ा शहर में परिवारों द्वारा लगाए गए लगभग 15,000 छोटी-छोटी गणेश प्रतिमाओं का भी मुहूर्त के अनुसार विसर्जन किया गया। प्रतिमाओं को कोठारी नदी, सांगानेर और पालड़ी की पुलियों पर विसर्जित किया गया, जहां पानी पुलियों से ऊपर बह रहा था। कई प्रतिमाओं को पंडालों और तालाबों में जुलूस के रूप में ले जाकर विसर्जित किया गया। वर्षा के बावजूद श्रद्धालुओं ने उत्साह नहीं खोया और भीगते हुए भी बप्पा को विदाई दी।

शोभायात्रा का भव्य आयोजन

इससे पहले राजेंद्र मार्ग स्कूल ग्राउंड से बैंड बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ शोभायात्रा रवाना हुई। स्टेशन चौराहा तक यह यात्रा भव्य और भक्तिमय रही। संत महात्मा महंत गोपाल दास, पंडित कल्याण शर्मा, और अन्य गणमान्य नागरिकों ने झंडी दिखाकर शोभायात्रा को रवाना किया। यात्रा में शामिल समिति पदाधिकारियों ने श्रद्धालुओं का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया।

सभी मार्गों पर पुष्पवर्षा और ठंडे पेय से श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया। अजमेर से मंगवाई गई 5 क्विंटल गुलाब की पत्तियों से शोभायात्रा मार्ग को सजाया गया। इस अवसर पर माणिक्य नगर नवयुवक मंडल, काशीपुरी एफसीआई गोदाम, पटेल नगर और सीरकी मोहल्ला की विशाल गणेश प्रतिमाओं के साथ केसरिया झंडों और बैनरों के बीच भक्तों का हुजूम उमड़ा।

भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संगम

शोभायात्रा में युवा डांडिया नृत्य, अखाड़ा प्रदर्शन और भजनों के जयकारे चलते रहे। श्रद्धालुओं ने मंगलमूर्ति गजानंद के जयकारे लगाते हुए प्रतिमाओं को विसर्जन स्थल तक पहुंचाया। मुख्य बाजारों से होते हुए शोभायात्रा गुलमंडी से तेजाजी चौक पहुंची। यहां बड़ के पेड़ के नीचे बने गणेश घाट पर प्रतिमाओं की सामूहिक महाआरती हुई।

इसके बाद समिति की ओर से सभी प्रतिमाओं को ट्रक में विराजित कराकर काइन हाउस स्थित विशेष कुंड में विसर्जन के लिए भेजा गया। समिति के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

समिति पदाधिकारियों का योगदान

इस अवसर पर समिति अध्यक्ष उदयलाल समदानी, मंत्री ओमप्रकाश बुलियां, कोषाध्यक्ष सुभाष गर्ग, संगठन मंत्री बनवारी लाल मुरारका, शिवनारायण डीडवानीया, प्रेम सेन, लक्ष्मी लाल अग्रवाल, जय किशन मित्त सहित अन्य समिति सदस्य उपस्थित थे। इन सभी ने शोभायात्रा और विसर्जन की व्यवस्थाओं को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।

धार्मिक और सांस्कृतिक उल्ला

श्रद्धालुओं ने दिनभर प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए तैयार रखा और रात तक भी उत्सव का आनंद लिया। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों के साथ अपनी आस्था व्यक्त की। इस अवसर पर जगह-जगह भक्तिमय संगीत, ढोल-ताशे और पुष्पवर्षा ने माहौल को और भी आकर्षक बना दिया।

समापन और अगले वर्ष की कामना

शहरभर में उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ। श्रद्धालुओं ने बप्पा की विदाई के साथ अगले वर्ष उनकी जल्द वापसी की कामना की। इस अवसर पर धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और समाज के लोगों की एकजुटता का अद्भुत दृश्य देखने को मिला।




गणेशोत्सव के इस पर्व ने एक बार फिर साबित किया कि भीलवाड़ा में धार्मिक उत्सव केवल पूजा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी हैं।

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