देह व्यापार के लिए बेचा जा रहा है बेहतर जीवनशैली के सपने दिखा कर लड़कियों को !

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल क्षेत्र में मानव तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल के महीनों में सीमावर्ती इलाकों से दर्जनों लड़कियां लापता हुई हैं, जिन्हें भारत-नेपाल सीमा पार कराकर दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों या विदेशों में देह व्यापार के लिए बेचा जा रहा है। आपके द्वारा साझा की गई खबर के अनुसार, पिछले छह महीनों में 100 से अधिक लड़कियां गायब हुईं, जिनमें से 83 पूर्वी चंपारण की हैं और मात्र 12 को मुक्त कराया जा सका। इस मुद्दे पर मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
ताजा घटनाक्रम (2025):
दिसंबर 2025: रक्सौल में एक नाबालिग हिंदू लड़की को मुस्लिम तस्करों के चंगुल से सीमा सुरक्षा बल (SSB) ने मुक्त कराया। पूछताछ में पता चला कि लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर नेपाल बेचने की योजना थी, और उसे जबरन इस्लाम कबूल कराया गया था।
सितंबर 2025: SSB की मानव तस्करी रोधी इकाई (AHTU) ने मैत्री ब्रिज पर एक नाबालिग लड़की को तस्कर के साथ पकड़ा। लड़की को नेपाल ले जाया जा रहा था।
अगस्त 2025:
रक्सौल में AHTU और SSB ने संयुक्त कार्रवाई में एक नाबालिग को तीन तस्करों से मुक्त कराया। तस्कर पटना की लड़की को प्रेम का झांसा देकर नेपाल ले जा रहे थे।
नेपाल से लौटते समय चार तस्करों को पकड़ा गया, जिन्होंने एक लड़की को 8 दिनों तक बंधक बनाकर रखा था। शादी का लालच देकर धोखा दिया गया।
फरवरी 2025: रक्सौल बॉर्डर पर सात मानव तस्कर गिरफ्तार हुए, जो नेपाली युवतियों को भारत ला रहे थे। AHTU और SSB 47वीं बटालियन ने कार्रवाई की।
सिंडिकेट कैसे काम करता है?
मुक्त लड़कियों और स्वयंसेवी संस्था 'प्रयास' की जानकारी के मुताबिक, तस्कर नौकरी, प्रेम या शादी का लालच देकर 12-18 साल की लड़कियों को फंसाते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को निशाना बनाया जाता है। महिलाएं बिचौलिए बनकर सीमा पार करवाती हैं, जबकि युवक ऑनलाइन दोस्ती कर फंसाते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की 2025 मानव तस्करी रिपोर्ट में भी भारत-नेपाल सीमा पर इस समस्या को गंभीर बताया गया है।
क्या हो रहा है रोकथाम के लिए?
SSB और AHTU की बढ़ी कार्रवाई से कई गिरोह पकड़े गए हैं।
NHRC में मामला पहुंचने से जांच तेज हो सकती है।
जागरूकता अभियान: परिवारों को सतर्क रहने और ऑनलाइन दोस्ती पर नजर रखने की सलाह दी जा रही है।
