मास्साब के दोनों हाथों में लड्डू 'गुरु': कोचिंग क्लासेज में पढा रहे सरकारी स्कूल के टीचर

कोचिंग क्लासेज में पढा रहे सरकारी स्कूल के टीचर
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भीलवाड़ा। भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा है। ’गुरुब्र्रह्मा, गुरुर्विष्णु’ भारतीयों के लिए एक परम वाक्य की तरह है। वैदिक काल से ही विभिन्न ग्रंथ गुरु की महिमा से भरे पड़े है। वक्त बदला तो कुछ गुरु ’गुरु’ हो गए। आर्थिक युग में मास्साब भी अब पैसा कमाने में पीछे नहीं रहना चाहते। सरकार से मोटी तनख्वाह ले रहे कुछ अध्यापक शॉर्ट कट में मोटा पैसा कमाने के लिए कोचिंग या ट्यूशन में पढ़ाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। बेशर्मी के हालात यह हैं कि कोचिंग और ट्यूशन में पढ़ाने वाले सरकारी शिक्षक खुद के सोशल मीडिया अकाउंट से खुद ही अपने कोचिंग या ट्यूशन सेंटर का प्रचार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्टर बना खुद की फोटो भी लगा रहे हैं। वहीं, अपने फोन नंबर तक इनमें दे रखे हैं। सरकारी अध्यापकों पर नजर रखने को बैठे अधिकारी या तो कुछ देख नहीं पा रहे हैं या जानबूझकर अनजान बने बैठे हैं। इस मामले में भीलवाड़ा के शिक्षा अधिकारी या तो आंखें मूंद कर बैठे है या सब कुछ जानकर भी अनजान है। शहर में कई बड़ला चौराहा सहित कई जगहों पर ऐसे कोचिंग क्लासेज है जहां नियम के विरूद्ध जाकर सरकारी शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही है।

बीते दिनों ही टीचर्स तो नहीं लेकिन डॉक्टरों से जुड़े मामले में बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी ने निजि अस्पतालों का निरीक्षण किया, तब उन्हें कुछ सरकारी डाक्टर मिले जो ड्यूटी टाइम में भी निजि अस्पताल या क्लिनीक पर काम कर रहेेेेेेेेेेेेेेेेे थे। ऐसे ही हालात शिक्षक वर्ग के भी है। जो सरकारी तनख्वाह पाने के बावजूद निजि कोचिंग क्लासेज पर जाकर वहां से भी कमाई कर रहे हैं। कोचिंग से जुड़े सरकारी अध्यापकों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सोशल मीडिया पर वीडियो तक शेयर कर बता रहे हैं कि उनकी कोचिंग में सभी सरकारी अध्यापक हैं। इस वीडियो में वे कई अध्यापकों के नाम भी ले रहे हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों को इसमें टैग भी कर रखा है।

स्कूलों से लगा रहे गोता

कोचिंग और ट्यूशन में पढ़ाने वाले सरकारी अध्यापक स्कूलों से निरंतर गोता लगा रहे हैं। इन लोगों ने कोचिंग का समय भी स्कूल समय में रखा हुआ है। ऐसे में स्कूलों में ये या तो सिर्फ हाजिरी लगाने जाते हैं या फिर इक_ी एक साथ हाजिरी लगाते हैं। संस्था प्रधान भी इनके इस कुकृत्य में साथ दे रहे हैं। क्योंकि वे इनपर कोई रोकटोक नहीं लगा रहे ना ही ऐसे अध्यापकों के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करा रहे हैं।

आदेशों की धज्जियां

शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के ट्यूशन या कोचिंग में पढ़ाने पर पाबंदी लगा रखी है। सरकारी टीचर अगर किसी भी कोचिंग सेंटर पर पढ़ाते दिखाई दिए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने आदेश दे रखे हैं कि अब स्कूल के बाहर लिखना होगा कि यहां निजी ट्यूशन नहीं पढ़ाया जाता है।

देना होता है शपथ-पथ

इस संबंध में सभी शिक्षकों को ट्यूशन नहीं पढ़ाने का शपथ-पत्र भी देना होता है। इसमें लिखकर देना होता है कि वे न तो कोई ट्यूशन पढ़ाते हैं और ना ही किसी कोचिंग संस्थान में पढ़ाने के लिए जाते हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने आदेशों में बताया गया है कि यदि सरकारी स्कूल का कोई भी शिक्षक घर पर ट्यूशन पढ़ता मिला या किसी कोचिंग संस्थान में गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

चैन की नींद सो रहे अधिकारी

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। अधिकारियों का ध्यान भी सिर्फ खानापूर्ति में ही लगा रहता है। सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चों के भविष्य के साथ यह बड़ा खिलवाड़ है। गुरुजी का ध्यान कोचिंग और ट्यूशन पर ही होने से स्कूलों में पढ़ाई के हालात बिगड़ रहे हैं।

कोचिंग तो क्या, पासबुक पर भी है प्रतिबंध

कोचिंग सेंटर को कमाई का जरीया बनाकर चांदी काट रहे सरकारी शिक्षकों के संबंध में हलचल ने शिक्षक संघ सियाराम के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेमशंकर जोशी से बात की तो उन्होंने बताया कि राजकीय विद्यायलयों में पढाने वाला शिक्षक एक सरकारी कर्मचारी है। हां ये सही है कि सरकार द्वारा ऐसे शिक्षकों द्वारा निजि ट्यूशन और कोचिंग क्लासों में पढाने पर रोक है, मगर ये भी सच है कि कुछ शिक्षक है जो प्राईवेट ट्यूशन और कोचिंग क्लासेज में पढाते हैं। उन्होंने कहा कि कोचिंग तो दूर आजकल तो सरकारी स्कूलों के लिए पहले से प्रचलित पासबुक पर भी पाबंदी लगा दी है ताकि बच्चों के शैक्षणिक स्तर को बढावा मिल सके।

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