भीलवाड़ा में जीएसटी घोटाला: दुकानदारों की लापरवाही और ग्राहकों के साथ ठगी का खेल

भीलवाड़ा हलचल। गत सोमवार से देशभर में लागू हुई नई जीएसटी दरों के बावजूद शहर के छोटे दुकानदार ग्राहकों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी कर रहे हैं। बिस्कुट, चिप्स, साबुन, तेल जैसी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर सरकार ने 12 प्रतिशत से जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत या शून्य कर दिया है, लेकिन बाजार में अधिकांश दुकानदार अब भी पुराने एमआरपी के हिसाब से ही सामान बेच रहे हैं। इससे उपभोक्ता नया कानून होने के बावजूद कोई फायदा नहीं पा रहे हैं और दुकानदार नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या 22 सितंबर के बाद पुराने जीएसटी रिफंड न मिलने की वजह से उत्पन्न हुई है। हालांकि निर्माता कंपनियों ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि उनके डीलर और छोटे दुकानदार 22 सितंबर से नई दरों के हिसाब से बिक्री करें और कोई भी नुकसान कंपनी द्वारा भरा जाएगा। बावजूद इसके, दुकानदार अपनी सुविधा और लालच के चलते ग्राहकों को सही कीमत नहीं दे रहे हैं।
**क्या है मामला:**
बाजार में पैक्ड वस्तुओं के एमआरपी में पहले ही जीएसटी शामिल होता है। उदाहरण के लिए, 20 रुपए के चिप्स पैकेट में 12 प्रतिशत जीएसटी शामिल है। निर्माता कंपनी जब डीलर को सामान देती है, तब डीलर 12 प्रतिशत जीएसटी चुका कर यह पैकेट दुकानदार तक पहुंचाता है। दुकानदार फिर उसी कीमत पर ग्राहक को बेचता है और ग्राहक से जीएसटी वसूलता है।
डेलॉइट के अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ एम.एस. मनी का कहना है कि दुकानदार अगर इस पैकेट को नई दर पर बेचते हैं तो उन्हें घाटा होगा। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि 22 सितंबर से नई दरें लागू हैं और पुराने नियम अब लागू नहीं होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि दुकानदारों के पास अब कोई बहाना नहीं है और उन्हें ग्राहकों को नई दरों के अनुसार सामान बेचना अनिवार्य है।
**नियमों की अवहेलना और ठगी:**
विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे दुकानदारों की यह हरकत केवल लापरवाही नहीं है, बल्कि यह प्रत्यक्ष ठगी के श्रेणी में आती है। ग्राहकों को नई दरों का लाभ नहीं देना और पुराने एमआरपी पर सामान बेचना कानून की अवहेलना है। इससे न केवल उपभोक्ताओं का विश्वास टूटा है बल्कि बाजार में पारदर्शिता भी प्रभावित हुई है।
उपभोक्ता संरक्षण और जीएसटी अधिकारियों के लिए यह चेतावनी है कि ऐसे मामलों पर नजर रखी जाए। दुकानदारों की यह हरकत, नियमों के उल्लंघन के साथ-साथ ग्राहक धोखाधड़ी को भी जन्म दे रही है।
**निर्माता कंपनियों का रुख:**
विशेषज्ञों ने बताया कि वस्तु निर्माण कंपनियां अपने डीलरों को स्पष्ट निर्देश दे चुकी हैं कि 22 सितंबर से नई दरों के अनुसार बिक्री करें। इससे जो भी अंतर आएगा, उसका पूरा नुकसान निर्माता कंपनी भरेगी। इसी तरह एसी, कार, स्कूटर और बाइक कंपनियों ने भी अपने डीलरों को ग्राहकों को कम दाम पर सामान बेचने का निर्देश दिया है।
इसका मतलब यह है कि दुकानदार अब अपने फायदे के लिए कानून की धज्जियां नहीं उड़ा सकते। पुराने माल पर भी नई दरों के अनुसार कीमत तय होगी।
**उपभोक्ताओं के अधिकार:**
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय उपभोक्ताओं को सजग रहने की आवश्यकता है। दुकानदारों की यह हरकत उनके अधिकारों का उल्लंघन है। अगर कोई ग्राहक दुकानदार से नई जीएसटी दर के अनुसार छूट नहीं पाता है, तो वह शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके लिए विभाग को सक्रिय होना होगा ताकि दुकानदारों को कानून के तहत जवाबदेह बनाया जा सके।
**निष्कर्ष:**
भीलवाड़ा के बाजार में जीएसटी दरों में बदलाव के बावजूद दुकानदारों की लापरवाही और ग्राहकों के साथ ठगी ने उपभोक्ताओं में नाराजगी पैदा कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि अधिकारियों को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके। यह न केवल ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करेगा बल्कि बाजार में पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगा।
भीलवाड़ा के उपभोक्ताओं के लिए यह संदेश साफ है: **नियमों की अनदेखी करने वाले दुकानदारों से सावधान रहें और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं।**
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