सांड से टकराई हार्ले डेविडसन, आईएएस अजिताभ शर्मा के भाई एवं PWD के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अविनाश शर्मा का निधन

जयपुर। जयपुर के प्रशासनिक हलकों में सोमवार सुबह एक दर्दनाक ख़बर ने सबको स्तब्ध कर दिया। पीडब्ल्यूडी (PWD) के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अविनाश शर्मा (57) अब इस दुनिया में नहीं हैं। रविवार दोपहर, दिल्ली से जयपुर लौटते समय, उनकी हार्ले डेविडसन बाइक जयपुर-दिल्ली हाईवे पर एक सांड से टकरा गई। ज़ोरदार टक्कर के बाद बाइक अनियंत्रित होकर हाईवे से नीचे जा गिरी और अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
अविनाश शर्मा, राजस्थान के ऊर्जा सचिव और आईएएस अधिकारी अजिताभ शर्मा के बड़े भाई थे। उनकी पहचान न केवल एक कुशल इंजीनियर के रूप में थी, बल्कि शांत, सौम्य और ज़मीन से जुड़े इंसान के तौर पर भी थी। अगले महीने उनका पदोन्नति होकर एडिशनल चीफ़ इंजीनियर बनने का सपना पूरा होने वाला था—लेकिन किस्मत ने रास्ता यहीं रोक दिया।
दुर्घटना का क्षण
यह हादसा दौलतपुरा थाना क्षेत्र के दौलतपुरा टोल के पास हुआ।रविवार को दोपहर करीब 12 बजे, दिल्ली से लौटते हुए उनकी मोटरसाइकिल सामने अचानक आए सांड से टकरा गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर सांड के पिछले पैर से हुई, जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ गया। भारी भरकम हार्ले डेविडसन बेकाबू होकर हाईवे से नीचे उतरी और ज़ोरदार धमाके के साथ धरती से टकराई।
टक्कर इतनी भीषण थी कि अविनाश का हेलमेट भी उछलकर लगभग 30 फीट दूर जा गिरा। सिर पर गंभीर चोट आई और वे सड़क किनारे बेसुध पड़े थे। पास ही घायल सांड भी बैठा मिला—उसका एक पैर टूट चुका था।
पहचान एक दोस्त के फ़ोन से हुई
दौलतपुरा SHO नंदलाल ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। अविनाश गंभीर हालत में थे, सांसें धीमी हो रही थीं। पुलिस जांच कर ही रही थी कि उनके मोबाइल पर कॉल आया। पुलिसकर्मी ने कॉल रिसीव किया—दूसरी तरफ एक चिंतित दोस्त की आवाज़ थी।यहीं से उनकी पहचान पक्की हुई।
फौरन उन्हें एम्बुलेंस से कांवटिया अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत नाज़ुक होने पर SMS अस्पताल रेफ़र कर दिया गया। डॉक्टरों ने कई कोशिशें कीं, पर शाम तक यह लड़ाई हार गई—अविनाश शर्मा की धड़कनें थम चुकी थीं।
अधूरे सपने और रोता परिवार
अविनाश शर्मा का परिवार, रिश्तेदार और सहकर्मी यह मानने को तैयार नहीं कि वे अब नहीं रहे। एक महीने बाद उन्हें एडिशनल चीफ़ इंजीनियर का पद मिलने वाला था।जीवन भर की मेहनत, अनुभव और ईमानदार कार्यशैली का फल मिलने ही वाला था—लेकिन किस्मत ने उन्हें समय से पहले बुला लिया।
उनकी मौत ने न केवल परिवार को, बल्कि पूरे विभाग को गहरे सदमे में डाल दिया है।जयपुर के बापू नगर, गांधी नगर इलाके में उनका घर अब शोक का घर बन चुका है।
खामोशी में गूंजते सवाल
यह घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि एक सवाल है—हमारे हाईवे कितने सुरक्षित हैं? सांड जैसे आवारा पशु खुले आम तेज रफ़्तार मार्ग पर घूमते हैं और किसी की भी ज़िंदगी कुछ ही पलों में छीन सकते हैं।
अविनाश शर्मा का जाना, हमें यह याद दिलाता है कि सड़क पर सिर्फ हमारी सावधानी ही नहीं, बल्कि व्यवस्था की लापरवाही भी हमारी ज़िंदगी तय करती है।