नगर निकाय चुनावों में देरी पर चुनाव आयोग को हाईकोर्ट की फटकार, तुरंत कदम उठाने के निर्देश

जयपुर:राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर निकाय चुनावों में लगातार हो रही देरी को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने शनिवार को कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि चुनावों में टालमटोल स्थानीय स्वशासन को कमजोर कर रहा है और यह संविधान के विरुद्ध है। साथ ही आयोग को तुरंत कदम उठाकर लंबित चुनाव कराने के निर्देश दिए गए।
जस्टिस अनूप धंड की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि निर्वाचन आयोग केवल “मूकदर्शक” बनकर नहीं रह सकता। चुनावों में देरी से स्थानीय लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के कई नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, जबकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने के छह माह के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य निर्वाचन आयोग **तत्काल कार्रवाई करे** और लंबित नगर निकाय चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि देरी से न केवल जनता का भरोसा कमजोर होता है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की साख भी प्रभावित होती है।
वहीं, इस मसले पर **राजस्थान सरकार के स्थानीय प्रशासन मंत्री बी.डी. खरा** ने कहा कि अब चुनाव कराने का मामला **निर्वाचन आयोग के पाले में है**। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि बढ़ते तनाव और राजनीतिक दबाव से इंकार नहीं किया जा सकता। मंत्री खरा के बयान के बाद राजनीतिक दलों और नागरिक समाज में उठे सवालों ने इस मसले को और संवेदनशील बना दिया है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों पक्षों की स्थिति टकराव की ओर इशारा कर रही है। जहां हाईकोर्ट तेजी से चुनाव कराने का दबाव डाल रहा है, वहीं सरकार और निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया में देरी से स्थानीय राजनीतिक परिस्थितियां जटिल हो सकती हैं।
