स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अपील-: हम दो-हमारे दो से ऊपर उठें हिंदू... धर्म और राजनीति पर क्या बोले?

सनातनी व्यक्ति दूसरों का कल्याण करके स्वयं के धन्य होने की अनुभूति करता है। उसी सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए कुचक्र रचा गया। भय व लोभ के माध्यम से मतांतरण कराया गया। इसके बाद भी सनातन का वैभव कम नहीं हुआ। महाकुंभ में सनातन धर्म के गौरवपूर्ण वैभव, परंपरा व संस्कारों को दुनियाभर के लोग देख रहे हैं।

ये विचार हैं श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के। उन्होंने सनातन धर्मावलंबी हिंदुओं के जाति, पंथ से ऊपर उठकर एकजुट रहने पर जाेर दिया है। उन्होंने अपील की है कि हिंदू हम दो-हमारे दो से ऊपर उठें और वंश वृद्धि करें।जातीय जनगणना की बात वह कर रहे हैं, जिन्हें अपनी जाति का पता नहीं है। उन्हें स्वयं पता नहीं है कि वह किस संप्रदाय के हैं। वह धर्म जानते नहीं हैं। ये प्रभु श्रीराम का अस्तित्व नकार रहे थे। कह रहे थे कि राम काल्पनिक हैं, उनका जन्म हुआ ही नहीं। कोर्ट में एफिडेविट दे रहे थे।

इस तरह के लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए सनातनियों को बांटने की बातें करते हैं। हमें उसकी चिंता नहीं है, सनातन धर्म बहुत आगे जाएगा। योग के माध्यम से पूरे विश्व का ध्यान हमने अपनी ओर खींचा है। आयुर्वेद के माध्यम से भारत की आर्थिक उन्नति विश्व का ध्यान खींच रही है। आने वाली शताब्दी भारत की है।

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