राजसमंद में प्रेम, विश्वास और धोखे का खौफनाक अंत: पति की हत्या की साजिश का पर्दाफाश

राजसमंद में प्रेम, विश्वास और धोखे का खौफनाक अंत: पति की हत्या की साजिश का पर्दाफाश
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राजसमंद (राहुल आचार्य)। राजसमंद जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंदौर की सोनम रघुवंशी हत्याकांड की यादें ताजा कर दी हैं. ककरौली थाना क्षेत्र में एक पत्नी ने अपने 13 साल के रिश्ते को खत्म करते हुए, अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया. यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि प्रेम की आड़ में रची गई एक खौफनाक साजिश की दास्तान है, जिसे राजसमंद पुलिस ने अपनी सूझबूझ से बेनकाब कर दिया है.

"पति-पत्नी और वो" - एक विश्वासघाती कहानी

24 जून की सुबह शेर सिंह अपने काम से बाड़मेर जा रहे थे. प्रताप पुरा पुलिया पर अचानक एक एमपी नंबर की गाड़ी ने उन्हें पीछे से टक्कर मारी, जिससे वे गिर गए. इसके बाद जो हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला था. गाड़ी से उतरे तीन हमलावर धारदार हथियारों से उन पर टूट पड़े और गर्दन, हाथ व कमर पर तब तक वार करते रहे, जब तक वे बेसुध नहीं हो गए. शेर सिंह की गर्दन कट गई, हाथ कट गए, और इज्जत व भरोसे की लाश वहीं छूट गई. राजसमंद हाईवे पर दिनदहाड़े हुई इस वारदात से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई.

मृतक शेर सिंह: एक आम आदमी, एक करीबी का निशाना

शेर सिंह कोई गैंगस्टर नहीं थे, बल्कि एक आम आदमी की जिंदगी जी रहे थे. लेकिन उनके कातिल कोई गैर नहीं, बल्कि उनके सबसे करीबी थे – उनकी ही पत्नी प्रमोद कंवर और उनका प्रेमी राम सिंह. अब सुनिए वह कहानी, जो प्रेम नहीं, बल्कि पाप थी.

प्रेम कहानी से विश्वासघात तक: एक खूनी साजिश का जन्म

उदयपुर के घास गांव में प्रमोद और राम सिंह की स्कूल के दिनों की लव स्टोरी शुरू हुई थी. प्रमोद कंवर गर्भवती हो गईं, और जब घर वालों को पता चला, तो चौंकाने वाली बात सामने आई: दोनों गोत्र से भाई-बहन निकले. इज्जत के डर से परिवार वालों ने प्रमोद कंवर की शादी आनन-फानन में आमेट निवासी शेर सिंह से कर दी. शादी तो हो गई, लेकिन प्रमोद का दिल अभी भी राम सिंह के पास था. 13 साल बीत गए, उनके दो बेटे भी हुए, लेकिन प्रमोद कंवर की चाहत और राम सिंह की नजदीकियां कभी खत्म नहीं हुईं. राम सिंह "भाई" बनकर घर आता-जाता रहा, जिससे शेर सिंह को कोई शक नहीं हुआ.

लेकिन 21 जून को शेर सिंह ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उनका भरोसा टूट गया, और इसी बात पर घर में जोरदार लड़ाई हुई. उसी दिन शेर सिंह की हत्या की साजिश रच दी गई.

साजिश का ताना-बाना और नृशंस हत्या

राम सिंह ने अपने दो साथियों, शौकीन और दुर्गा प्रसाद को 2 लाख रुपये का लालच दिया और एक एमपी नंबर की गाड़ी किराए पर ली. प्रमोद कंवर ने 38,000 रुपये राम सिंह के खाते में ट्रांसफर किए. जिस दिन शेर सिंह अपने घर से नौकरी के लिए बाड़मेर जा रहे थे, प्रमोद कंवर लगातार राम सिंह को उनकी लोकेशन बताती रही. राम सिंह ने राजसमंद के काकरोली प्रताप पुलिया पर एक सुनसान जगह पर बाइक से टक्कर मारकर हमला किया. राम सिंह ने खुद पहले वार किया, पहले हाथ काटा, फिर गर्दन काटी और फिर सीने पर वार कर खून का समंदर बहा दिया. हत्या करने के बाद तीनों आरोपी मातृकुंडिया पहुंचे, खून से सने कपड़े धोए, पूजा की और ऐसे पेश आए कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.

राजसमंद पुलिस का सराहनीय खुलासा

शेर सिंह के मर्डर की गुत्थी सुलझाना आसान नहीं था; यह हत्याकांड पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती था. राजसमंद पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी, अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी के निर्देशन में, डिप्टी एसपी विवेक सिंह राव के निकटतम सुपरविजन में और थानाधिकारी हंसराम सीरवी (थाना कांकरोली) के नेतृत्व में इस मामले का खुलासा किया गया. पुलिस की सूझबूझ ने इस साजिश के हर चेहरे को बेनकाब कर दिया.

25 जून को सबसे पहले शौकीन और दुर्गा प्रसाद को पकड़ा गया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि राम सिंह और मृतक की पत्नी प्रमोद कंवर थे. इसके बाद पुलिस राम सिंह की तलाश में मुंबई से लेकर माउंट आबू तक पहुंची और अंत में उसे माउंट आबू से गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, प्रमोद कंवर, जो इस खूनी स्क्रिप्ट की असली राइटर थी, का भी भंडाफोड़ हो गया और वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई. अब चारों आरोपी जेल में हैं.

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