अगर नहीं किया ये काम, तो उठाना पड़ेगा दुकानदारों को लाखो का नुकसान!

भीलवाड़ा ,दुकानदार और उधमी आग लगने जैसी घटनाओ का बीमा कराने से कई बार लापरवाही बरते जाते हे जिससे आग लगने की घटना पर उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ता हे,सिर्फ 10 प्रतिशत दुकानदार या छोटे उद्यमी फायर इंश्योरेंस खरीदते हैं। ,गर्मियों में अक्सर दुकानों में आग लगने की घटनाएं होती हैं,
जानकारों के मुताबिक कई बार इंश्योरेंस की खरीदारी के दौरान कुछ चीजों का ध्यान नहीं देने से फायर इंश्योरेंस खरीदने वालों को भी जरूरत पड़ने पर इसका फायदा नहीं मिल पाता है। मकान के लिए भी फायर इंश्योरेंस लेते समय मामूली पैसे बचाने के चक्कर में इंश्योरेंस का पूरा लाभ नहीं ले पाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फायर इंश्योरेंस की खरीदारी करने के दौरान भविष्य में निर्माण की लागत को ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस कराना चाहिए। पॉलिसीबाजार फॉर बिजनेस के एसोसिएट ने बताया कि जिस भवन या दुकान के निर्माण में अभी 50 लाख का खर्च आया है, पांच-सात साल बाद उसकी लागत दोगुनी हो सकती है।अगर नहीं किया ये काम, तो उठाना पड़ेगा करोड़ों का नुकसान दुकान में जो सामान है, उनकी कीमतों में भी आने वाले समय में बढ़ोतरी होगी। पांच साल बाद दुकान को या फैक्ट्री को पूरा बनाना पड़ा तो क्या खर्च आएगा, इस प्रकार की चीजों को ध्यान में रखते हुए फायर इंश्योरेंस लेना चाहिए। प्रीमियम में मामूली बढ़ोतरी से बड़ा कवरेज मिल जाता है जो दुर्घटना के दौरान काफी काम आता है।
इन बातों का रखें ध्यान
जानकारों का कहना है कि फायर इंश्योरेंस की खरीदारी के दौरान सही पता और सही काम का जिक्र भी काफी मायने रखता है क्योंकि बिल्कुल सटीक पता नहीं होने पर क्लेम मिलने में परेशानी होती है। मान लीजिए किसी की दुकान किसी भवन में है और पते में कई बार सिर्फ भवन का जिक्र होता है जबकि दुकान संख्या, किस मंजिल पर है, जैसी चीजें स्पष्ट होनी चाहिए।
वैसे ही, फायर इंश्योरेंस लेने के दौरान दुकान में किस चीज की बिक्री हो रही है या फैक्ट्री में क्या निर्माण हो रहा है, साफ होना चाहिए। कई बार फायर इंश्योरेंस लेने के दौरान कोई दुकान गारमेंट की बताई जाती है, बाद में उसमें गारमेंट की जगह किराना या चश्मे की बिक्री होने लगती है। ऐसे में कोई दुर्घटना होने पर क्लेम खारिज हो सकता है।