बनास नदी पर अवैध बजरी खनन का कहर, जीवनदायिनी नदी बनती जा रही माफिया की कमाई का जरिया

बनास नदी पर अवैध बजरी खनन का कहर, जीवनदायिनी नदी बनती जा रही माफिया की कमाई का जरिया
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भीलवाड़ा हलचल . राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र में भेड़ों का गढ़ से निकलने वाली बनास नदी कभी राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और टोंक के ग्रामीणों व किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाती थी। आज यही नदी अवैध बजरी माफिया के लिए सबसे मुफीद इलाका बन चुकी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि जिन सुदूर थाना क्षेत्रों में कभी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी जाने से कतराते थे, वही इलाके अब अवैध बजरी से जुड़ी कमाई के कारण पहली पसंद बन गए हैं।

राजगढ़, उमेदपुरा, कटारिया का खेड़ा, थला, ककरोलिया और चैनपुरा जैसे क्षेत्रों में बनास नदी के किनारे चोरी छिपे अवैध बजरी खनन आज भी धड़ल्ले से जारी है। अवैध परिवहन से कम समय में अमीर बनने की होड़ ने सामाजिक असंतुलन पैदा कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि बार बार शिकायतों और कार्रवाई के दावों के बावजूद यह कारोबार रुक क्यों नहीं रहा।

अवैध खनन के कारण बनास नदी का प्राकृतिक स्वरूप तेजी से बिगड़ रहा है। नदी के तल में जगह जगह गहरे गड्ढे बन चुके हैं, जो आम लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। जहाजपुर क्षेत्र में कुछ दिन पहले बनास नदी में नहाते समय ट्रक चालक और क्लीनर की डूबने से मौत हो चुकी है। इससे भी गंभीर असर नदी के आसपास के इलाकों के जलस्तर पर पड़ रहा है, जो लगातार गिर रहा है। इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।




भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर, शक्करगढ़, हनुमान नगर, बड़लियास, बीगोद, मंगरोप और हमीरगढ़ जैसे थाना क्षेत्रों में भी अवैध बजरी खनन बेरोकटोक जारी है। यह कारोबार अब केवल माफिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अवैध कमाई में हिस्सेदारी की चाह ने पुलिस व्यवस्था की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अकेले भीलवाड़ा ही नहीं, बल्कि राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और टोंक जिलों में भी यह धंधा तेजी से फल फूल रहा है।

भीलवाड़ा जिले के चांदगढ़ गांव में ग्रामीण लंबे समय से अवैध बजरी खनन के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों की दूरी ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ा रही है। हाल ही में पत्रकार वार्ता के दौरान उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से भी अवैध बजरी को लेकर सवाल किए गए, लेकिन वे इन सवालों से बचते नजर आए। इससे पीड़ितों में यह भावना गहराई कि अवैध खनन से हो रहे नुकसान को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

रवन्ना प्रणाली भी पूरी तरह फेल नजर आ रही है। ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए बजरी परिवहन पर रवन्ना तक नहीं काटा जा रहा। आरोप है कि लीजधारकों के कर्मचारी ट्रैक्टर चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं और सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी सीधे निजी जेबों में जा रही है। इससे राज्य सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

अवैध खनन रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा गठित विशेष टीमें भी प्रभावी साबित नहीं हो पा रही हैं। कभी कभार की कार्रवाई और औपचारिक जब्ती से माफिया के हौसले कमजोर नहीं पड़ रहे। हालांकि पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर की जा रही कार्रवाइयों से कुछ दबाव जरूर बना है, लेकिन मंगरोप, हमीरगढ़ और बड़लियास जैसे इलाकों में अवैध खनन लगातार जारी है।

प्रशासन का कहना है कि बजरी के जिन प्लॉटों की नीलामी की गई है, उन्हें पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद जिले में वैध बजरी की उपलब्धता आसान हो जाएगी। फिलहाल 12 नए बजरी ब्लॉक तैयार किए गए हैं और जिले में कुल 46 बजरी लीज संचालित होने पर आम उपभोक्ताओं को आसानी से बजरी मिल सकेगी। विभाग का दावा है कि अवैध बजरी के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी कई सवाल खड़े कर रही है।

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