रोडवेज पर 'किलोमीटर का डंडा': लापरवाह परिचालकों की मनमानी पर लगी लगाम, वरना वेतन पर 'फुल स्टॉप'!

रोडवेज पर किलोमीटर का डंडा: लापरवाह परिचालकों की मनमानी पर लगी लगाम, वरना वेतन पर फुल स्टॉप!
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भीलवाड़ा haLCHAL प्रदेश की रोडवेज, जो सालों से घाटे के दलदल में धंसकर यात्रियों की जान पर बन रही है, अब आखिरकार लापरवाह परिचालकों की कमर तोड़ने को तैयार हो गई है। मुख्यालय ने नया 'किलोमीटर का फरमान' जारी कर दिया है – अब हर महीने 3 हजार किलोमीटर तय रूट पर बस न चलाई तो वेतन का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा! यह कदम न सिर्फ परिचालकों की मनमानी और फर्जीवाड़े पर सख्ती से पटकथा लिखेगा, बल्कि निगम की खस्ता हालत को भी उबारने का दम रखता है। लेकिन सवाल यह है – क्या यह सख्ती यात्रियों की परेशानी कम करेगी या परिचालकों का गुस्सा भड़काएगी?

रोडवेज के प्रबंध निदेशक ने सभी डिपो मैनेजरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साफ-साफ धमकी दी है: "वेतन तभी बनेगा जब तय रूट पर 3 हजार किलोमीटर पूरा हो। कम चले तो सैलरी का सपना चूर-चूर!" प्रदेशभर के डिपो में यह नियम लागू हो गया है। अब तक परिचालक महज कुछ किलोमीटर दौड़ाकर बस छोड़ देते थे, एवजी (एक्स्ट्रा व्हीकल ग्रुप) को रूट पर ठूंस देते थे या बिना वजह ड्यूटी से गायब हो जाते थे। नतीजा? डिपो लक्ष्य से कोसों पीछे, अन्य चालकों का बोझ दोगुना और रोडवेज को करोड़ों का राजस्व नुकसान। यात्री तो सड़कों पर सराबसर भटकते रहे – गांव-ढाणियां कटे हुए नजर आते।

निगम के अधिकारी इसे 'क्रांतिकारी कदम' बता रहे हैं। "परिचालकों की जवाबदेही तय हो जाएगी, मनमानी बंद होगी और आय में इजाफा होगा।" लेकिन हकीकत में यह लापरवाहों पर 'आर्थिक कोड़े' की मार है। पहले की शिकायतें थीं – कई परिचालक बिना वजह ऑफिस में चिपके रहते, बसें खाली पड़ीं तो यात्री पैदल। अब यह नियम उन 'आरामपसंदों' पर भी लागू होगा जो कुर्सी से हिलते ही नहीं। मेडिकल अनफिट वालों को छूट मिलेगी, लेकिन बाकी सबको रूट पर पसीना बहाना पड़ेगा।

नए नियम से यात्रियों को 'राहत की सांस' या परिचालकों को 'यातना'?

सकारात्मक पक्ष तो साफ है – परिचालक अब रूट पूरा करेंगे, तो दूरदराज के गांव नियमित बसों से जुड़ेंगे। निगम का राजस्व चमकेगा, कार्यभार बराबर बंटेगा और अवकाश वितरण में पारदर्शिता आएगी। लेकिन विपक्ष में? परिचालक हड़ताल पर उतर सकते हैं, खासकर जब भर्ती के 500 नए पदों पर चर्चा जोरों पर है। क्या यह कदम रोडवेज को वाकई उबार पाएगा या नई मुसीबतें खड़ी कर देगा? वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल लापरवाहों की नींद हराम हो चुकी है!

फायदे की झलक

मेडिकल अनफिट पर छूट: स्वास्थ्य समस्या वालों को राहत, अन्यथा सभी पर सख्ती।

ऑफिस 'चमचों' पर लगाम: कुर्सी पर चिपके चालक-परिचालक अब रोड पर उतरेंगे।

कार्यभार में संतुलन: सबके कंधे पर बराबर बोझ, अवकाश आसान।

आय में उछाल: डिपो के किलोमीटर लक्ष्य बढ़ेंगे, राजस्व चमकेगा।

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