भीलवाड़ा में सोलर प्लांट की आड़ में जमीन कन्वर्जन मामला, सीएमओ ने दिए विस्तृत जांच के आदेश

भीलवाड़ा में सोलर प्लांट की आड़ में जमीन कन्वर्जन मामला, सीएमओ ने दिए विस्तृत जांच के आदेश
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भीलवाड़ा । सोलर प्लांट लगाने की आड़ में एससी-एसटी वर्ग की कृषि भूमि को सामान्य वर्ग के नाम पर कन्वर्ट करने के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने गंभीर रुख अपनाया है। सीएमओ ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश देते हुए डिटेल रिपोर्ट तलब की है। इससे पहले सीएमओ को भेजी गई रिपोर्ट में यह माना गया था कि सोलर प्लांट के लिए एससी-एसटी वर्ग की कृषि भूमि का औद्योगिक में कन्वर्जन किया गया था, लेकिन नियमानुसार प्लांट लगाने के बजाय खातेदारों ने इन जमीनों को बेच दिया।

मामले में कलेक्टर जसमीत सिंह संधु ने हुरड़ा के तत्कालीन तहसीलदार रणवीरसिंह के खिलाफ 16 सीसीए के तहत चार्जशीट देने की अनुशंसा की है। इसके साथ ही राजस्व मंडल को भी विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है। बताया गया है कि रणवीरसिंह के कार्यकाल में 104 प्रकरणों में एससी-एसटी की जमीनों का नामांतरण सामान्य वर्ग के लोगों के नाम खोल दिया गया था। हालांकि जिन पटवारियों द्वारा गलत रिपोर्ट दी गई, उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

अंटाली तहसीलदार की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि हुरड़ा के तत्कालीन तहसीलदार रणवीरसिंह ने 4 जून 2025 को जारी पत्र क्रमांक 1562-64 के माध्यम से कृषि से अकृषि दर्ज हुई जमीनों को बेचने के नामांतरण खोलने के निर्देश पटवारियों को दिए थे। हाजियास के आड़, दांता और बरणी गांवों में एक-एक प्रकरण सामने आया। इन नामांतरणों के चलते संबंधित भूमि के खाते लॉक हो गए थे। तकनीकी कारणों से ये नामांतरण ई-धरती पोर्टल पर दर्ज नहीं हो पाए।

रिपोर्ट के अनुसार पांच प्रकरणों में तत्कालीन तहसीलदार ने बाद में नामांतरण स्थगित कर अकृषि भूमि को पुनः कृषि भूमि में दर्ज किया, लेकिन इसी दौरान एससी-एसटी की कृषि भूमि का नामांतरण सामान्य वर्ग के लोगों के नाम दर्ज करने के आदेश भी जारी कर दिए गए। बाद में ये नामांतरण निरस्त कर दिए गए।

अब किसानों को सोलर प्रोजेक्ट के लिए यह शर्तें पूरी करनी होंगी

- अगर खातेदार की आवंटित भूमि हाईवे के नजदीक है तो पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की एनओसी अनिवार्य होगी।

- बिजली ग्रिड की स्थिति, उसकी दूरी और सोलर प्रोजेक्ट से उत्पादित बिजली के उपयोग को लेकर रिपोर्ट देनी होगी।

- किसान को यह बताना होगा कि कितने मेगावाट का सोलर प्लांट लगाया जाएगा और कौनसी कंपनी इसे स्थापित करेगी।

- सोलर प्रोजेक्ट कितने समय में पूरा होगा और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या रहेगी, इसकी जानकारी देना जरूरी होगा।

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