एलसीडी-एलईडी हुई सस्ती, मरीजों का भी बोझ होगा कम
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में मोबाइल फोन, मोबाइल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए) और मोबाइल चार्जर पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) को 20% से घटाकर 15% करने की घोषणा की. इसके साथ ही LCD, LED टीवी की सेल पर कस्टम ड्यूटी घटकर 2.5% होगी. लिथियम आयन बैट्री के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा. इससे एलसीडी और एलईडी के दाम घटने की पूरी संभावना रहेगी.
सरकार घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को बढ़ावा देने और टियर-2 शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा विकसित करके युवाओं के लिए अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह ढांचा प्रतिभा, बुनियादी ढांचे और उद्योग सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा. इसके अतिरिक्त, एयर कार्गो के लिए बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से उच्च मूल्य वाले खराब होने वाले सामानों के लिए, सुव्यवस्थित कार्गो स्क्रीनिंग और सीमा शुल्क प्रोटोकॉल के साथ बढ़ाया जाएगा. पिछले एक दशक में सरकार की नीतियों में सुधार केंद्रीय रहे हैं.
इसके साथ ही सीतारमण ने कहा कि जलवायु अनुकूल विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन स्वच्छ तकनीक विनिर्माण को भी समर्थन देगा. फोकस सेगमेंट में सौर पीवी सेल, ईवी बैटरी, मोटर और नियंत्रक, इलेक्ट्रोलाइजर, पवन टर्बाइन, बहुत उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन उपकरण और ग्रिड-स्केल बैटरी शामिल होंगे.
स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का बड़ा कदम
मरीजों पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषणा की कि 36 जीवन रक्षक दवाओं को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी जाएगी. यह पहल एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसका उद्देश्य आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल उपचारों की लागत को कम करना है, विशेष रूप से कैंसर रोगियों के लिए, जो लंबे समय से अधिक किफायती विकल्पों की वकालत करते रहे हैं. अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित किए जाएंगे; वित्त वर्ष 2025-26 में 200 सेंटर स्थापित किए जाएंगे.
वित्त मंत्री ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में भारत के सभी जिलों में कैंसर देखभाल केंद्र स्थापित करने के प्रावधानों की भी घोषणा की है. इस पहल का लक्ष्य पूरे देश में कैंसर रोगियों के लिए बेहतर उपचार और सहायता उपलब्ध कराना है, साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद गंभीर अंतर को पाटना है. यह घोषणा भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए की गई है। हालिया शोध के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर के मामलों और उनके आर्थिक प्रभाव में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसके सालाना 5.6% की दर से बढ़ने का अनुमान है.