भला हो या बुरा, जैसा भी है मेरा पति, मेरा देवता है: भीलवाड़ा में सुहागिनों ने बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया करवा चौथ का पर्व

भीलवाड़ा हलचल: “भला हो या बुरा, जैसा भी है मेरा पति, मेरा देवता है।” भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के धैर्य और व्रत का महत्व अद्भुत है। पति की लंबी आयु, पुत्र की दीर्घायु या परिवार की खुशहाली की कामना के लिए महिलाएं भगवान को साक्षी मानकर व्रत करती हैं। इसी श्रद्धा के साथ शहर और जिले भर की सुहागिन महिलाओं ने आज करवा चौथ का पर्व मनाया।
महिलाओं ने दिनभर निर्जल व्रत रखा और शाम को सोलह श्रृंगार कर पूजा की। मिट्टी और चीनी के करवे में बाजरा, काचरा, बैर, मोठ की फली और खिली पताशे रखकर गणेश जी का पूजन किया गया। इसके बाद चौथ माता की कथा सुनी गई।
व्रत के दौरान जहां महिलाएं दुल्हन की भांति सज-धजी, वहीं उनके पति भी दूल्हे की तरह परिधान में संवरकर पूजा में शामिल हुए। रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अर्घ्य दिया गया और पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को पूर्ण किया गया।
पूजा करने आई **रेखा** ने बताया कि वे पिछले 40 सालों से करवा चौथ का व्रत कर रही हैं और आज भी उन्हें उतनी ही खुशी मिलती है जितनी पहली बार व्रत करने पर महसूस हुई थी। वे अपनी देवरानी और बेटियों के साथ व्रत करती हैं और अन्य महिलाओं को भी विधिपूर्वक व्रत करने की सलाह देती हैं।

एक अन्य महिला **कविता** ने बताया कि वे पिछले 13 सालों से लगातार करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। उनके अनुसार, इस पर्व का उन्हें पूरे साल इंतजार रहता है। व्रत से एक दिन पहले मेहंदी लगाई जाती है और पूरे दिन निर्जल रहना होता है। शाम को चौथ माता की पूजा के बाद करवा घर ले जाया जाता है, पति के साथ चंद्रमा को देखा जाता है और करवे का जल पीकर व्रत पूरा किया जाता है।
करवा चौथ महिलाओं के लिए सबसे अहम त्योहार माना जाता है। इस दिन सुहागिन अपने पति की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत पूर्ण करती हैं।
