जीएसटी की नई दरें:: दुकानदारों की जेब कटेगी या ग्राहकों की जेब भरेगी? 22 सितंबर का इंतजार!

दुकानदारों की जेब कटेगी या ग्राहकों की जेब भरेगी? 22 सितंबर का इंतजार!
X

भीलवाड़ा विजय गढ़वाल

कल्पना कीजिए, आपका पर्स थोड़ा हल्का हो गया है क्योंकि तेल महंगा हो गया, शैंपू की बोतल ने जेब काट ली, या फिर मोबाइल खरीदने का मन था लेकिन कीमत देखकर मन डूब गया। लेकिन रुकिए! मोदी सरकार ने एक ऐसा जादू का चिराग रगड़ दिया है, जिससे 22 सितंबर 2025 से सैकड़ों रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी। जी हां, जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में 3 सितंबर को 400 से ज्यादा आइटम्स पर दरें घटाई गई हैं। पैक्ड फूड, साबुन, शैंपू, मोबाइल फोन से लेकर दवाइयां तक—सब कुछ सस्ता! लेकिन असली ट्विस्ट ये है कि सरकार किसी भी दुकानदार को ये मौका नहीं देगी कि वो ग्राहक की जेब पर डाका डाले। सख्ती का डंडा तैयार है, ताकि लाभ सीधे जनता तक पहुंचे। , खासकर दुकानदारों की गड़बड़ी रोकने पर फोकस करते हुए।

सबसे पहले, समझिए सरकार का मास्टर प्लान। जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी, लेकिन दुकानदारों को पहले से ही अलर्ट कर दिया गया है। तेल, साबुन, शैंपू जैसे बेसिक आइटम्स से लेकर दवाओं तक—सभी पर जीएसटी कम होने से MRP (मаксимум रिटेल प्राइस) घटेगी। लेकिन पुराने स्टॉक? वो तो पहले ही छप चुके हैं, MRP पुरानी। फिर भी, सरकार का फरमान साफ: नई कीमत पर ही बेचो! दुकान के बाहर बोर्ड लगाओ, जिसमें साफ-साफ लिखा हो कि ये आइटम अब कितने में मिलेगा। ऐसा न करने पर? जुर्माना, लाइसेंस पर खतरा, या फिर सीधे जेल की हवा! भीलवाड़ा हो या विजय गढ़वाल, छोटे से गांव-ढाणी तक—हर जगह ये नियम लागू। गरीब और मध्यम वर्ग के लोग पहले ही सतर्क हो चुके हैं। बिना जरूरी सामान खरीदना बंद कर दिया, सब 22 तारीख का इंतजार कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि अभी खरीदो तो पुरानी महंगी कीमत पर, लेकिन इंतजार करो तो 10-20% सस्ता!



अब दुकानदारों की गड़बड़ी पर नजर डालें। सरकार जानती है कि कुछ चालाक दुकानदार पुराने स्टॉक को नई दरों पर बेचने के बजाय पुरानी कीमत पर ठोंक देंगे, और ग्राहक को चूना लगेगा। इसलिए, निर्माताओं को आदेश: 22 सितंबर से पहले विज्ञापन छोड़ो—टीवी, अखबार, सोशल मीडिया पर! दुकानों में नई दरों की लिस्ट भेजो। ग्राहक को पता चले कि शैंपू की बोतल अब 50 रुपये सस्ती है। दवा विक्रेताओं के लिए तो खास निर्देश: जिन दवाओं पर जीएसटी घटा है (जैसे कुछ जरूरी दवाइयां), उनकी नई खुदरा कीमत दुकान के बाहर चस्पा करो। पुरानी दवा पर पुरानी MRP छपी होगी, लेकिन बेचते वक्त जीएसटी का फायदा ग्राहक को दो। अगर न किया, तो क्या? टैक्स अफसरों की टीम दुकान पर छापा मारेगी। भीलवाड़ा के मोबाइल दुकानदार केदार भाई की तरह कोई गड़बड़ न करे। केदार कहते हैं, "भाई, 22 तारीख से कीमतें घटेंगी, तो मैं पहले से ही ग्राहकों को बता रहा हूं। अभी 20 हजार का मोबाइल खरीदो तो कोई फायदा नहीं, लेकिन अगले हफ्ते 2 हजार सस्ता मिलेगा। बिना जरूरत की खरीदारी सबने रोक दी है।" देखा? ग्राहक जागरूक हैं, दुकानदार भी सतर्क। लेकिन सरकार कह रही है—कोई चालाकी नहीं चलेगी!

भीलवाड़ा हो, बनेड़ा हो या देश का कोई छोटा गाँव-ढाणी – मोदी सरकार इस बार पूरी तरह से आश्वस्त दिख रही है कि जीएसटी की नई घटाई गई दरों का लाभ सीधे जनता तक पहुँचे। किराना वाले, मोबाइल शॉप, दवा स्टोर—सभी पर नजर।

22 सितंबर को अधिकारियों की पैनी नजर रहेगी। लोग भीड़ लगाएंगे, लेकिन दुकानदार अगर पुरानी कीमत पर बेचा तो शिकायत का तूफान! सरकार का स्पष्टीकरण साफ: लाभ ग्राहक को मिलना चाहिए, न कि दुकानदार की मुनाफे की थैली में जाना। पैक्ड फूड पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो गई, साबुन-शैंपू पर भी। मोबाइल पर 18% से 12%। दवाओं पर कुछ 5% पर आ गईं। लेकिन पुराने माल पर?

निर्माता को नुकसान, लेकिन ग्राहक को फायदा अनिवार्य। दुकानदारों को निर्देश: स्टॉक चेक करो, नई लेबल लगाओ या डिस्काउंट बोर्ड चिपकाओ। गड़बड़ी पकड़ी गई तो ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का दावा भी रद्द!

और हां, यात्रा करने वालों के लिए गुड न्यूज! सितंबर से होटल सस्ते हो जाएंगे। 7500 रुपये प्रतिदिन तक के कमरों पर सिर्फ 5% जीएसटी। लेकिन ट्विस्ट: होटल मालिक ITC का दावा नहीं कर सकेंगे। पहले सोचते थे, ITC लो तो 18% वसूलो, लेकिन सरकार ने साफ कहा—कोई ऐसी चाल नहीं चलेगी। 5% ही लगेगा। जिम, ब्यूटी पार्लर, फिटनेस सेंटर जैसी सर्विसेज पर भी 5% GST, ITC बैन। और सबसे राहत: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी जीरो! व्यक्तिगत पॉलिसी पर कोई टैक्स नहीं। मंगलवार को वित्त मंत्रालय ने ये स्पष्टीकरण जारी किया, ताकि कोई कन्फ्यूजन न रहे।

दुकानदारों के लिए ये चेतावनी साइरन की तरह है। गड़बड़ी मत करो, वरना सिस्टम तुम्हें पकड़ लेगा। जीएसटी नेटवर्क डिजिटल है, हर ट्रांजेक्शन ट्रैक। भीलवाड़ा जैसे छोटे शहरों में भी अफसर तैनात। केदार जैसे ईमानदार दुकानदार तो फायदा उठा रहे हैं—ग्राहक विश्वास बढ़ेगा, बिक्री तेज। लेकिन चालाकों के लिए मुसीबत! सरकार का मकसद साफ: गरीब-मध्यम वर्ग को राहत। लोग इंतजार कर रहे हैं, तो दुकानदार सतर्क रहो। 22 सितंबर आ गया, तो जश्न मनाओ—सस्ते सामान का!

Tags

Next Story