राजस्थान के पहाड़ों पर निर्माण के नए नियम, फार्म हाउस और रिसॉर्ट्स की अनुमति

राजस्थान के पहाड़ों पर निर्माण के नए नियम, फार्म हाउस और रिसॉर्ट्स की अनुमति
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जयपुर । राजस्थान में शहरी क्षेत्र के पहाड़ों पर अब मकान, रिसॉर्ट और फार्म हाउस बनाना संभव होगा। इसके लिए सरकार ने नए हिल बायलॉज जारी किए हैं। इस बायलॉज में पहाड़ों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए निर्माण की स्वीकृति दी गई है।

पुराने नियम के तहत लगभग 60 प्रतिशत पहाड़ों पर निर्माण की छूट थी। भाजपा सरकार ने नए बायलॉज में निर्माण के दायरे को घटा दिया, लेकिन फिर भी करीब 30 से 40 प्रतिशत पहाड़ों पर निर्माण की अनुमति जारी रखी गई है।

पहाड़ों पर निर्माण के नियम इस प्रकार हैं:

आठ से पंद्रह डिग्री कोण वाले पहाड़ों पर फार्म हाउस के लिए न्यूनतम 5000 वर्गमीटर जमीन जरूरी है। इस जमीन पर बनने वाले फार्म हाउस का अधिकतम निर्माण क्षेत्र 500 वर्गमीटर (10 प्रतिशत) होगा, और अधिकतम निर्माण ऊँचाई 9 मीटर यानी ग्राउंड प्लस एक मंजिल तक हो सकती है।

'बी' श्रेणी के फार्म हाउस के लिए न्यूनतम 2 हेक्टेयर जमीन आवश्यक है। इस जमीन पर निर्माण के लिए करीब 20 प्रतिशत क्षेत्र का उपयोग किया जा सकेगा।

आठ से पंद्रह डिग्री ढलान वाले पहाड़ों पर धार्मिक स्थल, आध्यात्मिक केंद्र, योग केंद्र, चिकित्सा या वेलनेस सेंटर बनाने के लिए कम से कम 1 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इस पर अधिकतम 15 प्रतिशत क्षेत्र में ही निर्माण की अनुमति होगी। पंद्रह डिग्री से अधिक ढलान वाले पहाड़ों को नो-कंस्ट्रक्शन जोन माना गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि पुराने बायलॉज में संशोधन किया गया है, लेकिन अभी भी पहाड़ों के कोण मापने का कोई स्पष्ट फॉर्मूला तय नहीं है। A (0–8°), B (8–15°) और C (15° से अधिक) श्रेणी में न तो ढलान मापने का तरीका स्पष्ट है और न ही किसी GIS आधारित सर्वे की व‍िश्वसनीय व्याख्या उपलब्ध है।

कई शहरी पहाड़ों में ढलान मिश्रित होता है। ऐसे में एकल गणना से वास्तविक ढलान तय करना मुश्किल है। इसके अलावा, छोटी कटिंग कर ढलान को कृत्रिम रूप से कम दिखाने की संभावना भी बनी रहती है।

विशेषज्ञों के अनुसार, ‘नगरीय क्षेत्र में स्थित पहाड़ों के संरक्षण मॉडल विनियम 2024’ पहाड़ों की रक्षा के बजाय उनके बेतरतीब दोहन की आशंका बढ़ा सकते हैं।

वर्तमान में जयपुर, बांसवाड़ा, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, प्रतापगढ़, डूंगरपुर सहित कई शहरों में अरावली पर्वतमाला से अलग हटकर पहाड़ों की श्रृंखला मौजूद है। इन पहाड़ों पर माइनिंग हो रही है।

जयपुर के गोनेर, बस्सी, कालवाड़, झालाना समेत कई क्षेत्रों में अवैध माइनिंग से पहाड़ों को नुकसान पहुंचा है। अब इन खाली पड़ी जमीनों पर आवासीय कॉलोनी, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और अन्य निर्माण की अनुमति मिल सकेगी।

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