खाद्य सामग्री पर 100 फीसदी शुद्ध की छाप लगाई तो होगी कार्यवाही

खाद्य सामग्री पर 100  फीसदी  शुद्ध की छाप लगाई तो होगी कार्यवाही
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भीलवाड़ा .हलचल .बाजार में बिकने वाले किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ की पैकिंग पर उपभोक्ता को भ्रमित करने वाली लाइनें जैसे “100% Pure”, “100% Fruit Juice” अब अवैध मानी जाएंगी।अब पैकेज्ड फूड-Packaged Food पर “100% शुद्ध” लिखना कंपनियों को भारी पड़ सकता है खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इस पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने माना है कि 100 प्रतिशत के दावे और निशान से उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं।

पहले प्राधिकरण ने सिर्फ पैक्ड फलों के रस को लेकर ऐसे निर्देश दिए थे लेकिन अब सभी तरह के खाद्य पदार्थों को इसके दायरे में लिया गया है। इसमें इंटरनेट मीडिया इंफ्लूएंसरों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। हालांकि उद्योगों का धड़ा इस नियम पर पुनर्विचार की मांग कर रहा है।

सभी को जारी किए निर्देश

बीते दिनों एफएसएसएआई ने सभी खाद्य पदार्थ निर्माताओं के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा कि खाद्य उत्पाद लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द का उपयोग न किया जाए। इसके साथ ही ऐसे शब्द या चिह्न वाली पुरानी पैकिंग भी सितंबर माह तक बाजार से हटा ली जाए।

इस आदेश के पीछे कारण बताते हुए एफएसएसएआई ने माना कि नियामक प्रविधानों तहत इसमें अस्पष्टता है, ऐसे में इसकी गलत व्याख्या उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकती है।

खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम 2018 में 100 प्रतिशत शब्द को किसी भी तरह से परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसे में यह शब्द उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है। इस बीच देश में खाद्य तेल उत्पादकों की शीर्ष संस्था साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) ने एफएसएसएआई को ज्ञापन सौंप कर मांग रखी है कि जारी निर्देश पर पुनर्विचार किया जाए।

नियमों में ही मिलावट की छूट

दरअसल, देश के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय में ही तमाम खाद्य पदार्थों में सम्मिश्रण या तय पैमानों तक सम्मिश्रण की छूट दे रखी है। जैसे किसी खाद्य वस्तु चाहे बिस्किट हो या घी-तेल से बना कोई पदार्थ या कुकिंग मीडियम, यदि उसमें दो प्रतिशत तक ट्रांसफेट है तो उसे नियमों में ट्रांसफेट फ्री माना जाएगा।

इसी तरह खाद्य तेलों में 20 प्रतिशत तक ब्लेंडिंग (मिश्रण) की छूट सरकार ने ही दे रखी है, यानी एक तेल में दूसरे तेल की 20 प्रतिशत तक मिलावट की जा सकती है। सिर्फ सरसों तेल में किसी अन्य तेल की ब्लेंडिंग पर रोक है। काफी पावडर भी उदाहरण है क्योंकि देश के खाद्य सुरक्षा नियम छूट देते हैं कि इंस्टेंट काफी पावडर में चिकोरी के पौधों का पावडर मिलाया जा सकता है।

तमाम इंस्टेंट काफी पावडर में 49 प्रतिशत तक चिकोरी की ब्लेंडिंग की छूट दी गई है। इसी तरह मक्खन के विकल्प के तौर पर बटरिन या माजरिन जैसे पदार्थ बाजार में बिक रहे हैं। किसी पदार्थ के 100 ग्राम या 100 मिली में 0.59 ग्राम शुगर है तो उसे शुगर फ्री माना जाने की इजाजत नियम देते हैं। ऐसे में ऐसे तमाम उत्पादों पर 100 प्रतिशत का मार्का उपयोग किए जाने पर भी इससे पहले तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती थी।

सेहत को लेकर जागरूकता के बीच आया यह फैसला

यह बदलाव ऐसे वक्त पर आए हैं जब भारत में हेल्थ अवेयरनेस तेजी से बढ़ रही है और लोग अब सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, सेहत को ध्यान में रखकर भी खरीदारी कर रहे हैं। फूड कंपनियां अब तक “हेल्दी” दिखाने के लिए चमकदार लेबल और झूठे दावे करती थीं, लेकिन इन नए नियमों के बाद यह सब इतना आसान नहीं रहेगा। अगर कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर FSSAI की ओर से कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

कंपनियों को करना होगा पैकेजिंग डिज़ाइन में बदलाव

सरकार ने साफ कर दिया है कि इन नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा और अगर कोई ब्रांड इससे बचने की कोशिश करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द तक किया जा सकता है। साथ ही, पैकेजिंग डिजाइन में भी बदलाव करना पड़ेगा ताकि प्रमुख जानकारी ग्राहकों की नजर में सबसे पहले आए। उदाहरण के तौर पर, अब अगर किसी जूस के पैक में 30% चीनी है, तो यह जानकारी bold और बड़े अक्षरों में सामने होनी चाहिए, छुपी हुई नहीं।

ग्राहकों को मिलेगा खाने का असली सच

इन सभी नियमों का उद्देश्य है कि भारतीय ग्राहक, खासकर शहरी युवा, अपने फूड चॉइसेस को लेकर ज्यादा जागरूक बनें। हेल्दी डाइट और सही जानकारी ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है, खासकर तब जब प्रोसेस्ड फूड्स की खपत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

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