24 की मोत के बाद भी सबक नहीं, अब फिर मेज नदी में समाई कार ,बचाव के प्रयास

24 की मोत के बाद भी सबक नहीं, अब फिर मेज नदी में समाई कार ,बचाव के प्रयास
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बूंदी। मेगा स्टेट हाइवे पर बुधवार शाम को एक और दर्दनाक हादसा प्रदेश की सरकारी लापरवाही की ज्वलंत तस्वीर पेश कर गया। लाखेरी स्थित मेज नदी की पुलिया पर तेज गति से आ रही एक कार अचानक अनियंत्रित होकर पुलिया के पिलर से टकरा गई और बीस फीट गहरे पानी में समा गई। यह वही पुलिया है, जहां साल 2020 में बस गिरने से कोटा और बूंदी के 24 लोगों की मौत हो चुकी थी। बावजूद इसके पांच साल बीत जाने के बाद भी पुलिया का निर्माण अधूरा है और सुरक्षा उपाय नदारद हैं।

हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। सिविल डिफेंस के जवानों और स्थानीय लोगों ने नाव में बैठकर कार तलाशने की कोशिश की, लेकिन गहरे पानी और अंधेरे के कारण कार का पता नहीं चल सका। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम करीब सात बजे लाखेरी से कोटा की तरफ जा रही कार तेज गति में थी। पुलिया पर कार अनियंत्रित होकर किनारे लगे पिलर से टकराई और पानी में गिर गई। तेज धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े, लेकिन पानी की गहराई और अंधेरा होने के कारण कुछ भी नजर नहीं आया।

स्थानीय युवाओं ने नदी में कूदकर कार खोजने का प्रयास किया, लेकिन बहाव और पानी की गहराई ने उन्हें विफल कर दिया। मौके पर पहुंचे सिविल डिफेंस के कर्मचारियों ने नाव में बैठकर कार तलाशने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। हादसे के करीब दो घंटे बाद तक पुलिया और नदी के किनारे घुप अंधेरा बना रहा। रोशनी की व्यवस्था न होने के कारण तलाशी का काम सुस्त रहा। लोग मोबाइल टॉर्च की मदद से रोशनी कर रहे थे, जबकि पानी में नाव में बैठकर कार की तलाश की जा रही थी। बाद में कोटा से एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर रवाना हुई, वहीं बूंदी से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे।

हादसे के बाद मेगा स्टेट हाइवे पर भीड़ जमा हो गई और आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। एक्सप्रेस-वे का मार्ग लबान से सवाई माधोपुर जिले के कुश्तला तक बंद होने के कारण वाहन कोटा-लालसोट मार्ग का उपयोग करने लगे, जिससे लंबा जाम लग गया।

विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2020 में मेज नदी में बस गिरने के बाद उच्च स्तरीय पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी कार्य अधूरा है। पुरानी पुलिया पर रेलिंग नहीं है, जिससे दुर्घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है। पुलिया के दोनों किनारों पर केवल आधी रेलिंग बनी हुई है, जो सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है।

इस हादसे ने एक बार फिर प्रदेश की डबल इंजन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है। लोगों का कहना है कि सुरक्षा के नाम पर केवल घोषणाएं होती हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता। पुलिया अधूरी होने और सुरक्षा उपाय न होने के बावजूद इसे उपयोग के लिए खोल दिया गया, जिससे लगातार जान का खतरा मंडरा रहा है।

स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाही को लेकर लोगों में गुस्सा है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर पुलिया पर पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए होते तो शायद यह हादसा टल सकता था। इलाके में अंधेरा होने के कारण बचाव कार्य भी धीमा हो गया।

हालांकि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन अधूरी निर्माण व्यवस्था और गहरे पानी के कारण अभी तक कार का पता नहीं चल सका है। लोगों का कहना है कि यह हादसा सरकार की ओर से अनदेखी और लापरवाही का नतीजा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकारी योजनाएं समय पर पूरी नहीं होतीं और सुरक्षा उपाय लागू नहीं किए जाते, तो परिणाम हमेशा जानलेवा होते हैं। साल 2020 में 24 लोगों की मौत के बाद भी पुलिया का निर्माण अधूरा रहना, सुरक्षा की अनदेखी करना और लोकहित की अनदेखी इस हादसे का मुख्य कारण है।

आखिरकार यह हादसा प्रदेश की जनता के लिए चेतावनी है कि यदि सुरक्षा और निर्माण कार्यों में तेजी नहीं लाई गई, तो भविष्य में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वे तत्काल न केवल पुलिया के निर्माण को पूरा करें, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करें।

यह दर्दनाक घटना सिर्फ बूंदी या कोटा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में सरकारी लापरवाही और अधूरी निर्माण योजनाओं की समस्या को उजागर करती है। नागरिकों का जीवन जोखिम में है, लेकिन प्रशासन और सरकार के कदम नहीं उठने से खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

इस हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि समय पर कार्य न होना और सुरक्षा पर ध्यान न देना जानलेवा साबित हो सकता है। हादसे में जान-माल की क्षति को देखते हुए यह आवश्यक है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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