ऑपरेशन लंगड़ा का असर बढ़ा: यूपी-बिहार के बाद राजस्थान में भी अपराधियों पर सख्त कार्रवाई

ऑपरेशन लंगड़ा का असर बढ़ा: यूपी-बिहार के बाद राजस्थान में भी अपराधियों पर सख्त कार्रवाई
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राज्यों में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए पुलिस ने एक कड़ी रणनीति अपनाई है, जिसे ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ नाम दिया गया है। यह अभियान पहले उत्तर प्रदेश और बिहार में शुरू हुआ, जहां कुख्यात अपराधियों पर लगातार कार्रवाई की गई। अब राजस्थान पुलिस भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है। भीलवाड़ा में दो मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिनमें अपराधियों के पैरों में गोली मारकर उन्हें काबू किया गया। प्रदेश में इस तरह की कार्रवाई के बाद अपराधियों में डर साफ नजर आने लगा है।

उधर बिहार के पटना, बेगूसराय, दरभंगा और छपरा जिलों में भी लगातार मुठभेड़ की घटनाओं के चलते यह अभियान चर्चा में है। पुलिस की नई नीति अब पूरी तरह ज़ीरो टॉलरेंस की ओर बढ़ रही है, जिसका उद्देश्य अपराधियों को भागने से रोककर उन्हें जिंदा पकड़ना है, ताकि आगे की जांच और कोर्ट ट्रायल सुचारू रूप से हो सके।

इस रणनीति ने उन राज्यों में अपराध पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां अपराधी अब पुलिस मुठभेड़ों से पहले ही सरेंडर करने लगे हैं।

इस रणनीति से साफ है कि राज्य की नई कानून-व्यवस्था नीति अब पूरी तरह ज़ीरो-टॉलरेंस की दिशा में आगे बढ़ रही है।

कैसे काम करता है ऑपरेशन लंगड़ा

इस ऑपरेशन के तहत पुलिस को जैसे ही किसी वांटेड अपराधी की सूचना मिलती है, टीम तुरंत कार्रवाई के लिए पहुंच जाती है। अगर अपराधी भागने की कोशिश करता है, हथियार निकालता है या पुलिस पर गोली चलाता है तो चेतावनी देने के बाद पुलिस उसके पैरों में गोली मारकर उसे काबू कर लेती है। इसका उद्देश्य अपराधी को घायल कर भागने से रोकना है ताकि उसे सुरक्षित रूप से गिरफ्तार किया जा सके और आगे की पूछताछ व कोर्ट ट्रायल संभव हो सके।

कब शुरू हुआ यह अभियान

ऑपरेशन लंगड़ा की शुरुआत जून 2025 में की गई थी। उस समय पटना और अन्य जिलों में लूट, रंगदारी, हत्या और गैंगवार की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही थीं। डीजीपी विनय कुमार के नेतृत्व में इस विशेष रणनीति को लागू किया गया। नई सरकार बनने के बाद, गृह मंत्री सम्राट चौधरी के कार्यभार संभालते ही इस अभियान में और तेजी आई। नई सरकार के 32 दिनों में चार एनकाउंटर सामने आए, जिनमें अपराधियों को इसी रणनीति के तहत पकड़ा गया।

पुलिस क्यों अपना रही है यह तरीका

बिहार पुलिस का मानना है कि अपराधी को जिंदा पकड़ना सबसे सुरक्षित विकल्प है। पैरों में गोली लगने से अपराधी भाग नहीं सकता और न ही जान का बड़ा जोखिम रहता है। इसके चलते वह पुलिस व आम लोगों पर फायरिंग भी नहीं कर पाता। साथ ही गिरफ्तारी के बाद पूछताछ से बड़े गैंग और नेटवर्क का खुलासा भी हो सकता है।

सार

'ऑपरेशन लंगड़ा' ने बिहार की कानून-व्यवस्था में नई सख्ती का संकेत दिया है। यह रणनीति अपराध पर मजबूत नियंत्रण के साथ-साथ अपराधियों को न्याय प्रक्रिया में लाने का एक साधन बनती जा रही है।

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