खौफ में राहगीर-वाहन चालक,: वाहनों पर टूट पड़ते हैं कुत्ते, दहशत में लोग, जिम्मेदार फिर भी मौन

भीलवाड़ा बीएचएन। वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में आवारा कुत्तों का बड़ा आतंक है। अब ये आवारा कुत्ते अकेले चलने वालों राहगीरों के लिए बड़ा खौफ बनते जा रहे हैं। राहगीर एवं दो पहिया वाहन चालक अकेले जाने से डरने लगे हैं। राह चलते कब कुत्ते हमला कर दें कोई पता नही हैं। लेकिन जिम्मेदार फिर भी मौन हैं।
आवारा कुत्तों का खौफ इस कदर छाया हुआ है कि लोग रात तो रात दिन में भी इनके झुंड को देखकर अपना रास्ता बदल लेने में ही भलाई समझते हैं। सडक़ों पर आवारा कुत्तों का झुंड लगा है। जहां पर आने वाले लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। इनकी लगातार बढ़ रही संख्या को लेकर न तो नगर निगम प्रशासन संजीदा है और न ही इनकी आबादी को कम करने के लिए किसी तरह का प्रयास किया जा रहा है। शहर में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
एक ही दिन में करीब चार दर्जन लोगों को काटा
हाल ही में एक कुत्ते ने शहर के पटरी पार इलाके में एक कुत्ते ने सडक़ पर आतंक मचाते हुये करीब चार दर्जन लोगों को काटकर जख्मी कर दिया था। इतना सबकुछ होने के बावजूद भी जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रैंगी। ये ही वजह है कि आमजन अब तक इन कुत्तों से खौफजदा है।
यहां हर वक्त बना रहता है डर, मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोग परेशान
शहर में शाम की सब्जी मंडी में आरामशीन के आस-पास, पांसल रोड़ पर लेबर कॉलोनी स्कूल के नजदीक, पांसल चौराहा से टेक्सटाइल कॉेलज स्टाफ कॉलोनी के गेट के बीच, जवाहर नगर पांसल रोड़, बापूनगर में बीमा अस्पताल के नजदीक सहित शहर की विभिन्न कॉलोनियों में कुत्तों का आतंक बना हुआ है। ये कुत्ते अल सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोगों के साथ ही दुपहिया वाहन चालकों पर झपटते हैं। इसके चलते आमजन में खौफ बना हुआ है।
पालतु कुत्ते भी झपटते हैं लोगों पर
शहर में कुत्ते पालने वाले लोग भी लापरवाह है। वे, अपने पालतु कुत्तों को खुल्ला छोड़ देते हैं। ये कुत्ते रास्तों से गुजरने वालों पर अचानक झपट्टा मार देते हैं। इसके चलते लोगों में खौफ है। ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाही करने की आमजन की मांग है।
हो जाएं सावधान
- अगर कुत्ते में रैबीज का संक्रमण है तो शरीर में भी रैबीज के वायरस आने की आशंका बनी रहती है ।
- खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस कटे हुए हिस्से को चाट लिया हो ।
- कुत्ते के काटने के बाद त्वचा पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई दें तो एहतियात बरतना जरूरी है।
- कुत्ते के काटने की अनदेखी घातक हो सकती है। रैबीज का वायरस एक बार शरीर में जाकर कई साल तक रह जाता है।
- हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है तो यह खतरनाक है।
इनका कहना है
कुत्ते के काटने पर लोगों को हल्दी, चूना और नमक के भरोसे नहीं रहना चाहिए। तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। माता-पिता बच्चों को कुत्ते को रोटी खिलाने नहीं भेजें, क्योंकि कुत्तों का व्यवहार कभी भी बदल सकता है और वह हमलावर हो सकता है।- फिजीशियन
कुत्ते के काट लेने पर पीडि़त को तुरंत साफ पानी और साबुन से उस जगह को अच्छे से धो लेना चाहिए। क्योंकि कुत्तों के लार में रैबीज नामक कीटाणु होते हैं, जो जानलेवा होते हैं। इसलिए कुत्ते के काटने पर इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है। वैक्सीन की पूरी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन नहीं लगवाने से मौत तक हो सकती है। पालतू कुत्तों की अपेक्षा स्ट्रीट डॉग को रैबीज होने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि इनका नियमित टीकाकरण नहीं हो पाता है।- पशुचिकित्सक
नगर निगम करें व्यवस्था
नगर निगम के स्तर से कुत्तों की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए उनकी नसबंदी कराने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इस बारे में लोग कई बार नगर निगम के अफसरों से मिल चुके है लेकिन समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है। -भगवानदास
नगर निगम प्रशासन फोटो खींच कर झाड़ लेते हैं पल्ला
आवारा कुत्तों को पकडऩे के अभियान में नगर निगम कर्मचारी खानापूर्ति करते हैं। एक या दो जगहों पर कुत्ते को पकडऩे का फोटो खींचकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। जो जनहित मे सही नही है। सरकार को इन कर्मचारियों के लिए भी एक गाइड लाइन बनानी चाहिए, जिससे नगर निगम कर्मचारियों के कार्यों की पारदर्शिता बनी रहे । केदार
पालतू व आवारा कुत्तों की नसबंदी जरूरी
आवारा कुत्तों की नसबंदी आवश्यक रूप से होनी चाहिए, जिससे भविष्य में इनकी जनसंख्या वृद्धि पर थोड़ा अंकुश लग सके। यदि ऐसा नही होता तो फिर सडक़ो और गलियों में आवारा कुत्ते बच्चों के साथ- साथ बड़ो को भी अपना शिकार बनाएंगे। -नैतिक
बढ़ती जनसंख्या नियंत्रण के लिए बने कानून
आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या के लिए सरकार को कानून बनाकर नसबंदी आदि योजना चलकर जनसंख्या नियंत्रण करना चाहिए। आवारा कुत्तों को रखने के लिए शहर में पर्याप्त जगह की व्यवथा की जाए। इसके साथ ही नगर निगम द्वारा इन आवारा कुत्तों के लिए जगह की व्यवस्था के बाद इनके खाने का भी इंतजाम करना चाहिए।- आकाश
शिकायतों पर नहीं होती कार्रवाई
शहर में कुत्तों एवं बदरों के हमलों की शिकायतें लगातार की जाती रही हैं, लेकिन इन शिकायतों पर न नगर निगम अफसर ध्यान दे रहे हैं और न ही प्रशासनिक अफसर ही इस ओर ध्यान दे रहे हैं। इससे इनके हमले बढ़ रहे हैं।- सोनू प्रजापत
बच्चों को अकेले भेजने में लगता है डर
शहर से लेकर देहात तक कुत्तों का अच्छा खासा आतंक देखने को मिल रहा है। राह चलना तक मुश्किल हो रहा है पता नहीं किसी गली, मुहल्ले से अचानक कुत्ता आ जाए और हमलावर हो जाए । बच्चों को अकेले घर से बाहर भेजने में दिक्कतें होती है।-अजय
रात के साथ दिन में भी बना रहता है खतरा
कुत्तों का आतंक रात में ही नहीं दिन में भी देखने को मिल रहा है। शहर की हर गली, मोहल्ले,चौराहों पर आवारा कुत्तों का झुंड बना रहता है। इस ओर शिकायतों के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।- करण
