PM मोदी ने पाकिस्तान के सामने रखी ये तीन शर्तें, कहा- 'आतंकी ढांचे को पूरी तरह समाप्त करना ही होगा'

नई दिल्ली। आतंक को पोषित-प्रायोजित करने के साथ ही उसे हर तरह का संरक्षण प्रदान करने वाले पाकिस्तान को अब तक के सबसे अधिक कड़े और स्पष्ट शब्दों में भारत ने यह संदेश दिया कि आतंकवाद पर उसके आचरण की हर दिन-हर क्षण निगरानी की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पाकिस्तान के लिए भविष्य में भारत के साथ किसी भी तरह के संपर्क-संबंध के लिए पहली बार इतने साफ तौर पर तीन शर्तें निर्धारित कर दीं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद आज देश को पहली बार संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है। एक नया पैमाना। न्यू नॉर्मल तय कर दिया है।
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हमारी कार्रवाई सिर्फ स्थगित हुई है
दहशतगर्दों को कड़ी चेतावनी देते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं फिर दोहरा रहा हूं कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। पाकिस्तान दुनियाभर में तनाव कम करने के लिए गुहार लगा था और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे। आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था।
भारत का मत एकदम स्पष्ट
भारत के साथ कश्मीर समेत तमाम मुद्दों पर किसी तीसरे देश में अथवा किसी देश की मध्यस्थता में बातचीत का सपना देख रहे पाकिस्तान को पीएम मोदी ने दो-टूक अंदाज में यह बता दिया कि भारत का मत एकदम स्पष्ट है। टेरर और टाक एक साथ नहीं हो सकते, टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते और पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता। स्पष्ट है कि वार्ता तो दूर जो व्यापार रुका है फिलहाल वह भी शुरू नही होने वाला है।
सिंधु जल संधि पर क्या है भारत का फैसला?
तीसरी कसौटी सिंधु जल संधि पर भारत के फैसले से संबंधित है। इस संधि के तहत सिंधु रिवर सिस्टम के तहत भारत से बहने वाली छह नदियों के पानी का बंटवारा दोनों देशों के बीच किया गया था। 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई इस संधि को भारत ने पहलगाम हमले के बाद अपनी ओर से स्थगित कर दिया है।
समझौते पर पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जिस तरह यह साफ कहा कि आतंकवाद का सिलसिला जारी रहने के साथ पाकिस्तान को भारत से पानी नहीं मिलेगा, उससे यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि इस समझौते पर पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है। अब जो भी फैसला होगा वह भारत अपने हितों को ध्यान में रखते हुए लेगा।
पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी समस्या
ध्यान रहे कि पाकिस्तान की 80 फीसद कृषि इन्ही नदियों से संचित है। जबकि वहां के दो डैम सिर्फ 10 फीसद पानी रोकने में सक्षम हैं। ऐसे में भारत ने 20 फीसद पानी भी रोक लिया या मोड़ लिया को पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी समस्या खडी होगी। आतंकी घटनाओं के बाद अबतक सिर्फ वार्ता और व्यापार ही रुका करते थे।
अस्तित्व की रक्षा
अब प्रधानमंत्री ने पानी को भी इससे जोड़ दिया है कि पाकिस्तान को परेशान करेगा। संभवत: पहली बार इतने साफ तौर पर पाकिस्तान को यह आगाह किया गया है कि उसे अगर अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है तो अपने आतंकी ढांचे को पूरी तरह समाप्त करना ही होगा।