सट्टेबाजी ऐप्स पर नकेल की तैयारी; सुप्रीम कोर्ट से बैन करने की मांग

सट्टेबाजी ऐप्स पर नकेल की तैयारी;  सुप्रीम कोर्ट से बैन करने की मांग
X

नई दिल्ली। देश में बढ़ते अवैध सट्टेबाजी ऐप्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग कर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसपर विचार करने पर सहमति जताई गई। याचिका दायर कर ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स और फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप्स पर सख्त नियम और कानून बनाने की भी मांग की गई है।

SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत औक न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि, अभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी नहीं किया गया है।

ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता ने खुद को 'एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, मानवतावादी और ग्लोबल पीस इनिशिएटिव का अध्यक्ष, जो विश्व स्तर पर शांति और न्याय को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है' बताया है।

क्यों दायर की याचिका?

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह जनहित याचिका (PIL) दायर कर लाखों लोगों के हित में और अवैध सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। बता दें, इसी साल मार्च में तेलंगाना में 25 बॉलीवुड सेलिब्रिटिज, क्रिकेटरों और फेमस लोगों के खिलाफ सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने का मामला दर्ज हुआ था।

याचिकाकर्ता ने इस मामले को भी हवाला अपनी याचिका में दिया है। इसके अलावा, तेलंगाना में 24 लोगों द्वारा आत्महत्या करने से संबंधित एक समाचार लेख का भी हवाला दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि यह याचिका भारतीय युवाओं और कमजोर नागरिकों को अनियमित ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के खतरों से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी।

'किस्मत का खेल है फैंटेसी ऐप्स'

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह याचिका फैंटेसी स्पोर्ट्स और कौशल-आधारित गेमिंग की आड़ में संचालित खतरनाक ऑनलाइन सट्टेबाजी बिजनेस से भारत के युवाओं की सुरक्षा के लिए दायर की गई थी।

याचिका में कहा गया है, "ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की सट्टेबाजी स्वाभाविक रूप से भाग्य का खेल है, कौशल का नहीं। इसलिए यह जुए की श्रेणी में आता है, जो सार्वजनिक दुआ अधिनियम 1867 के तहत कई राज्यों में प्रतिबंधित है।"

Tags

Next Story