नाम के साथ ही मनरेगा में बड़े बदलाव की तैयारी

नई दिल्ली। लगभग दो दशक पहले शुरू हुई मनरेगा योजना अब ऐसी स्थिति में पहुंच गई है जहां इसके ढांचे में व्यापक सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। लंबा समय बीतने के साथ योजना में कई कमियां और विसंगतियां उभरकर सामने आई हैं, जिन पर केंद्र सरकार गंभीरता से मंथन कर रही है। सूत्रों के अनुसार, योजना के दायरे और प्रक्रियाओं में सुधार के साथ इसके नाम में बदलाव पर भी विचार चल रहा है। हालांकि अभी इस संबंध में कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन उच्च स्तर पर समीक्षा लगातार जारी है।
क्यों जरूरी हुए सुधार
सौ दिन रोजगार के कानूनी प्रावधान के बावजूद देश में सिर्फ करीब सात प्रतिशत परिवार ही पूरे सौ दिन का काम प्राप्त कर पाते हैं। समय पर मजदूरी भुगतान सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। बैंकिंग गड़बड़ियों और प्रशासनिक देरी के चलते 15 दिनों की तय अवधि में भुगतान नहीं हो पाता, जबकि विलंब मुआवजा बेहद कम मिलता है।

कई राज्यों में फर्जी जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये निकालने के मामले सामने आ चुके हैं। डिजिटल हाजिरी प्रणाली में फोटो और डेटा दोहराव, गलत अपलोडिंग और तकनीकी खामियों ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है। कई राज्यों को अस्थायी रूप से डिजिटल हाजिरी रोककर मैन्युअल सत्यापन की ओर लौटना पड़ा।इसके अलावा मनरेगा के तहत बनने वाले कई कार्य गांवों की वास्तविक जरूरतों से मेल नहीं खाते। कहीं काम अधूरे छोड़ दिए जाते हैं तो कहीं गुणवत्ता बेहद कमजोर रहती है। बजट की कमी, कमजोर ऑडिट और स्थानीय स्तर पर निगरानी की सुस्ती ने भी योजना की प्रभावशीलता को प्रभावित किया है।
सरकार का नया सोचइन सब चुनौतियों को देखते हुए केंद्र अब मनरेगा के संपूर्ण ढांचे की पुनर्संरचना पर विचार कर रहा है ताकि योजना को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप बनाया जा सके। हाल के दिनों में इसके वित्तीय ढांचे में भी कई अहम बदलाव किए गए हैं।
जल संरक्षण पर फोकस
भविष्य के जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अगले वर्ष देशभर में एक करोड़ नई जल-संचय संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य तय किया है। यह निर्माण जनसहभागिता और मनरेगा के तहत उपलब्ध निधि से किया जाएगा। जल संकट वाले डार्क जोन जिलों में मनरेगा फंड का 65 प्रतिशत, येलो जोन में 40 प्रतिशत और सामान्य जिलों में 30 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ जल संरक्षण कार्यों के लिए अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किया जाएगा।
