राजस्थान सरकार ने छोटी गलतियों पर जेल की सजा हटाई अब केवल जुर्माना लगेगा

आम लोगों और कारोबारियों को राहत कैबिनेट ने तीन अधिनियमों में संशोधन को मंजूरी दी
राजस्थान में कानून आसान छोटे उल्लंघनों पर अब आपराधिक प्रावधान नहीं
जल, उद्योग और जन विश्वास अधिनियम में बड़े बदलाव जनता को मिलेगी कानूनी राहत
राजस्थान सरकार ने आम लोगों, छोटे कारोबारियों और ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए कई महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान सरल कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में तीन बड़े अधिनियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इन बदलावों के बाद अब छोटी तकनीकी गलतियों या हल्के उल्लंघनों पर जेल जाने की नौबत नहीं आएगी। ऐसे मामलों में केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि राज्य सरकार ने यह कदम जनता की सहूलियत और कारोबारियों के लिए आसान वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से उठाया है। उनके अनुसार कारावास की जगह जुर्माना लागू होने से छोटे विवादों पर अदालतों का भार भी कम होगा और लोगों को अनावश्यक कानूनी प्रक्रिया से राहत मिलेगी।
यह फैसला केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम दो हजार तेईस की तर्ज पर लिया गया है। इसी आधार पर राजस्थान जन विश्वास अध्यादेश दो हजार पच्चीस के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। इसके माध्यम से कुल ग्यारह अधिनियमों से आपराधिक धाराएं हटाई जाएंगी।
इसके साथ ही राजस्थान राज्य सहायता उद्योग अधिनियम उन्नीस सौ इकसठ में भी संशोधन किया गया है। पहले बहीखाता या दस्तावेज निरीक्षण के लिए उपलब्ध न कराने पर भी जेल हो सकती थी, लेकिन अब ऐसे मामलों में केवल जुर्माना ही लगेगा।
कैबिनेट ने जयपुर वाटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड अधिनियम दो हजार अठारह में भी बदलाव किए हैं। पानी की बर्बादी, गलत उपयोग, सीवरेज लाइन अवरुद्ध करने या बिना अनुमति कनेक्शन जोड़ने जैसी गलतियों पर पहले कारावास हो सकता था। अब इन सभी प्रकरणों को केवल आर्थिक दंड की श्रेणी में रखा गया है।
सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से सामान्य जनता को राहत मिलेगी, अनावश्यक आपराधिक मामलों में कमी आएगी और छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जा सकेगा।
