कल लगेगा माता के शीतल व्यंजनों का भोग: रांधा पुआ आज घर-घर में बनाए जायेगे व्यंजन,
भीलवाड़ा जिलेभर में शुक्रवार को शीतला अष्टमी का पर्व परंपरागत रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। सुबह माता को शीतल व्यंजनों का भोग अर्पण कर ठंडा भोजन ग्रहण करेंग। इसके लिए महिलाएं आज से ही पकवान बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है। महिलाएं माता के माता के भोग के लिए विविध पकवान बना रही हे । इसके चलते घर घर पकवानों की खुशबू महक रहे हैं। महिलाएं कल से ही रांधा-पुआं की तैयारियों में व्यस्त हैं। इस मोके पर जमकर रंगे भी खेला जाएगा -
महिलाएं माता के भोग के लिए आज चांवल, हलवा, राबड़ी, घाट, गुंजिया, सकरपारे, पूड़ी, पापड़ी, पुए व पकौड़ी ब आदि व्यंजन बनायेगी । गुरुवार को रांधा पुआ होने से भोग और पूजन की सामग्री की खरीदारी के चलते बुधवार को शहर में रौनक रही।
इन सब चीजों के ठंडे पकवानों का भोग राबड़ी व दही के साथ शुक्रवार को बास्योड़ा पर शीतला माता के लगाया जाएगा। इसके बाद ही ठंडे भगवान पकवानों का प्रसाद ग्रहण करेंगे। शीतला माता के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए एवं मां की कृपा व आशीर्वाद प्राप्ति के लिए ग्रामीण शीतलाष्टमी पर्व पर ठंडा भोजन ही ग्रहण करेंगे।
पंडित अशोक व्यास ने बताया कि रांदा पोआ गुरुवार 20 मार्च को होगा। शीतला सप्तमी 21 मार्च को होगी। महिलाएं शीतला माता की पूजा कर परिवार व घर में सुख-समृद्धि की कामना करेगी। उधर, पुराने भीलवाड़ा स्थित शीतला माता के मंदिर को रंग रोगन करके व रंगीन लाइटों से सजाया गया है। यहां 20 मार्च की मध्य रात्रि के बाद से ही महिलाएं पूजा करने आने शुरू होती है जो सुबह 10 बजे तक लंबी कतार लगी रहती है। शीतला सप्तमी को शीतला सप्तमी, शीतला अष्टमी, ठंडा-बासी, बास्योड़ा और कई नामों से जाना जाता है। इस अनूठे त्योहार के दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
मान्यता
शीतला सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला माता को बासी खाने का भोग अर्पित किया जाता है और घर के सभी सदस्य पूरे दिन बासी खाना खाते हैं, इसलिए इसे बसौड़ा या बसोड़ा कहा जाता है। यह पर्व शीत ऋतु के अंत और ग्रीष्मकाल की शुरुआत का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से शीतला माता की पूजा करता है, उसके सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं, और उसे सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य मिलता है। शीतला माता की पूजा से चिकन पॉक्स, खसरा, चेचक, और अन्य रोग खत्म होते हैं और शरीर को शीतलता मिलती है।
भीलवाड़ा में रंग व गुलाल के साथ ही पिचकारी, गुब्बारों व अन्य खाद्य वस्तुओं की खरीदारी भी जोरों पर है। कई जगह फूलों से होली खेली जाएगी। शीतला सप्तमी से एक दिन पहले रात में गुलमंडी, सर्राफा बाजार में मनोरंजन के लिए जागरण होगा, जिसमें हंसी-ठिठोली होगी और मुर्दे की सवारी भी निकाली जाएगी