भीलवाड़ा में प्लॉटिंग का बड़ा खेल उजागर,: रेरा ने अवैध कॉलोनियों पर कसा शिकंजा, सख्ती से उड़ेंगे कई कॉलोनाइज़रों के होश

भीलवाड़ा राजकुमार माली । शहरों में ‘डेवलपमेंट’ के नाम पर लोगों की जेब ही नहीं, उनका भरोसा भी लूटा जा रहा है। रेरा रजिस्ट्रेशन के बिना कॉलोनियां बेचने का गोरखधंधा इतना फैल चुका है कि कई जगह तो कॉलोनियां शुरू में शानदार सुविधाओं का सपना दिखाती हैं, लेकिन कब्जा मिलते ही पानी, सड़क, सीवर, बिजली—सब गायब! कई कॉलोनियों में तो शुरू में दी गई सुविधाएं बाद में छीन तक ली जाती हैं।
प्रदेश में भीलवाड़ा सहित कई शहरों में बिना रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) रजिस्ट्रेशन के प्लॉट और मकान बेचे जा रहे हैं। लोग करोड़ों की जमा-पूंजी लगाकर घर का सपना देखते हैं और बाद में पता चलता है कि न कॉलोनी का नक्शा पास है, न रेरा नंबर, न ही सुविधाओं की कोई गारंटी। अब रेरा ने इस पूरे खेल पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है।
रेरा ने विकास प्राधिकरणों, नगर विकास न्यास और सभी नगरीय निकायों से 2017 से अब तक स्वीकृत सभी बिल्डिंग और आवासीय योजनाओं का पूरा रिकॉर्ड तलब कर लिया है। जिन प्राधिकरणों ने बिना रेरा रजिस्ट्रेशन वाले प्रोजेक्ट का नक्शा पास किया, उनकी भी जिम्मेदारी तय होगी। शुरुआती जांच में कई प्रोजेक्ट ऐसे मिले हैं जिनमें बिल्डर ने रेरा में रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं, लेकिन नक्शा पास करवा कर प्लॉट बेचने शुरू कर दिए।
भीलवाड़ा में हाल बेकाबू
कृषि भूमि पर प्लॉट काटकर कॉलोनियां बनाने और रातों-रात बेचने का धंधा तेजी से बढ़ा है। सुवाणा, आरजिया, पुर, सांगानेर ,100–200 फीट के आसपास सहित कई इलाके ऐसे हैं जहां बड़ी सड़कें और सुविधा दिखाकर बिना नक्शे व बिना स्वीकृति के कॉलोनियां काट दी गईं। कई छोटे-मोटे ‘बिल्डर’ कुछ ही सालों में करोड़ों कमाकर निकल गए और खरीदार गड्ढों, अधूरी सड़कों और बिना सुविधाओं वाली बस्ती में फंस गए।
पम्फलेट के लालच से शुरू, धोखे पर खत्म
शहर में जगह-जगह ‘ आकर्षक कॉलोनी’ नामों से पम्फलेट बांटे रहे हैं। इनमें बुकिंग पर गिफ्ट, इनाम, लक्की ड्रॉ… हर तरह का लालच दिया जा रहा है। लेकिन इन सबसे बड़े सच गायब होते हैं—
न रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर
न स्वीकृत नक्शे की जानकारी
न प्रोजेक्ट का वास्तविक स्टेटस
लोग फंसते हैं और बाद में पता चलता है कि प्रोजेक्ट तो रेरा की नजर में अस्तित्व ही नहीं रखता।
रेरा वेबसाइट पर सब खुल जाता है
रेरा ने अपनी वेबसाइट पर प्रोजेक्ट की पूरी जांच का विकल्प दिया हुआ है। प्रोजेक्ट के नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर या प्रमोटर के नाम से सर्च कर सकते हैं।
इसमें मिलती है—
• रजिस्ट्रेशन डिटेल
• स्वीकृत नक्शा
• निर्माण की हर चरण रिपोर्ट
• कारपेट एरिया, पूर्णता अवधि
• प्रोजेक्ट वैध है या फर्जी
कड़ी कार्रवाई तय
यदि कोई प्रमोटर लगातार तीन तिमाही प्रोग्रेस रिपोर्ट जमा नहीं करता, तो सिस्टम उसे स्वत: नॉन-कंप्लायंस में डाल देगा और प्रोजेक्ट को लेप्स घोषित किया जा सकता है। ऐसे प्रोजेक्ट पर आगे बिक्री भी अपराध मानी जाएगी।
शिकायत कहां करें
उद्योग भवन परिसर कार्यालय
0141-2851900
[[email protected]](mailto:[email protected])
रेरा की सख्ती के बाद अब इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि प्रदेश में डेवलपर्स की मनमानी, अवैध कॉलोनियों और डेरा/प्लॉटिंग के नाम पर चल रहा यह बड़ा खेल जल्द थमेगा—और आम लोगों को उनका हक मिलेगा, धोखा नहीं।
