दो से ज्यादा बच्चों पर भी बन सकते हैं सरपंच-प्रधान:निकाय-पंचायतीराज चुनावों में हट सकती है रोक

दो से ज्यादा बच्चों पर भी बन सकते हैं सरपंच-प्रधान:निकाय-पंचायतीराज चुनावों में हट सकती है रोक
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जयपुर। राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की बाध्यता ​हटाई जा सकती है। विभिन्न संगठनों, नेताओं और जनप्रतिनिधियों की मांग पर सरकार ने इस पर मंथन शुरू कर दिया है। पंचायतीराज विभाग और स्वायत्त शासन विभाग से अनौपचारिक रूप से रिपोर्ट भी मंगवाई जा चुकी है। फिलहाल दो से ज्यादा संतान वाले पंचायतीराज और शहरी निकायों के चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

देश और राज्य के हित में जनसंख्या नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसके बारे में जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए दो अलग-अलग नियम हैं। सरकारी कर्मचारियों पर दो बच्चों का नियम लागू हुआ था, लेकिन उनको छूट दे दी गई। शहरी निकाय और पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों को नहीं दी गई।

यूडीएच मंत्री ने कहा- अब जनप्रतिनिधियों निकाय और पंचायती राज के चुनाव लड़ने वालों की ओर से यह मांग उठाई जा रही है। उस पर विचार तो करना पड़ेगा। कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों में ज्यादा भेदभाव नहीं किया जा सकता। जब एक को राहत मिली है तो दूसरे को भी राहत मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा- मुख्यमंत्री से एक बार चर्चा हुई है, उनका मानना था कि एक बार सबसे राय ली जाए। जब मांग आती है तो मांग पत्र को विभाग में भेजा जाता है। विभाग वापस मांग पत्र को आगे से आगे अधिकारी तक भेजते हुए मंत्रियों तक भेजता है। निर्णय तो अंतिम रूप से सरकार के स्तर पर होना है। एक बार सबसे चर्चा के बाद जो भी उचित होगा वह निर्णय लिया जाएगा।

झाबर सिंह खर्रा ने कहा- शहरी निकाय और पंचायती राज संस्थाओं में एक निश्चित तारीख के बाद दो से ज्यादा बच्चे वालों को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया है। उस तारीख से पहले चाहे किसी के कितनी ही संतान हो। वो निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव लड़ सकता है।

एक समय सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर भी दो संतान की पाबंदी लगाई थी। दो से ज्यादा बच्चे होने पर प्रमोशन समेत कई लाभ नहीं मिलते थे। लंबे समय से ही कर्मचारियों को छूट देने की मांग चलती रही थी। कुछ साल पहले सरकारी कर्मचारियों को तीसरी संतान की छूट और दी गई, तीन संतान वाले कर्मचारियों पर प्रमोशन की पाबंदी हटा ली गई।

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