भीलवाड़ा में सन्नाटा, स्लीपर बसों की हड़ताल से ठप हुई रौनक

भीलवाड़ा में सन्नाटा, स्लीपर बसों की हड़ताल से ठप हुई रौनक
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भीलवाड़ा में इन दिनों शाम का नज़ारा कुछ बदला-बदला सा है। बसों के हॉर्न की आवाजें, यात्रियों को आवाज लगाते कंडक्टरों की पुकार, और सड़कों पर लगने वाले जाम — सब कुछ मानो थम सा गया है। शहर के मुख्य बस स्टैंड के आसपास अब सन्नाटा पसरा हुआ है। यह नज़ारा ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट स्लीपर बसों की बेमियादी हड़ताल का नतीजा है, जिसका असर भीलवाड़ा में साफ देखा जा रहा है।

राज्यभर की तरह भीलवाड़ा में भी निजी स्लीपर बसों की आवाजाही लगभग पूरी तरह से बंद है। लेंडमार्क होटल के पास मुख्य बस स्टैंड और डाक बंगले के नजदीक, जहां सामान्य दिनों में यात्रियों की भीड़ और बसों की आवाजाही से माहौल गुलजार रहता था, वहां अब वीरानी छाई हुई है। निजी ट्रेवल एजेंसियों के दफ्तरों पर ताले लटके हैं, और बसों के ठहरने वाले स्थलों पर खामोशी है।

दिल्ली, जोधपुर, बीकानेर, अहमदाबाद और जयपुर जैसे बड़े शहरों के लिए हर रोज दर्जनों निजी बसें यहीं से रवाना होती थीं। लेकिन हड़ताल के चलते न तो बसें चल रही हैं, न ही यात्रियों की भीड़ दिखाई दे रही है। बस अड्डे के आसपास की छोटी दुकानों, ठेलों और खानपान के ठिकानों पर भी मंदी छा गई है। जो ठेले और चाय की दुकानें कभी यात्रियों और ड्राइवरों की आवाजाही से गुलजार रहती थीं, वहां अब ग्राहक नदारद हैं।

शहर में खड़ी कुछ बसें जरूर दिखाई देती हैं, लेकिन वे केवल पार्किंग स्थल या सड़क किनारे खड़ी हैं। यात्रा पर निकलने वाली कोई बस नहीं दिखती। सोमवार को भी हड़ताल जारी रहने से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई। शहर के लोग ही नहीं, बल्कि बाहर से आए व्यापारी और यात्री भी अपने गंतव्यों तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करते दिखे।

निजी बसों की हड़ताल का सबसे बड़ा असर रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड पर देखा जा रहा है। आम दिनों में खाली चलने वाली रोडवेज बसों में अब यात्रियों की भीड़ उमड़ रही है। कई यात्रियों को सीटें नहीं मिलने के कारण खड़े होकर सफर करना पड़ रहा है। रेलवे में भी टिकटों की मांग अचानक बढ़ गई है।

हड़ताल के कारण कई यात्रियों को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी है। वहीं निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों और परमिट शर्तों के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक स्लीपर बसों का संचालन शुरू नहीं किया जाएगा।

भीलवाड़ा की सड़कों पर पसरे इस सन्नाटे ने लोगों को एहसास दिलाया है कि निजी बस सेवाओं की शहर की परिवहन व्यवस्था में कितनी बड़ी भूमिका है। अब जरूरत है कि प्रशासन और बस संचालकों के बीच बातचीत से समाधान निकाला जाए, ताकि यात्रियों को राहत मिले और शहर की रफ्तार फिर से सामान्य हो सके।

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