पाठ्यक्रम अधूरा, परीक्षा नजदीक — शिक्षकों और विद्यार्थियों पर बढ़ा दबाव

भीलवाड़ा हलचल । शिक्षा सत्र को चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन जिले के स्कूलों में अब तक 100 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो सका है। वजह—शिक्षक कभी पौधरोपण, कभी डोर-टू-डोर सर्वे और कभी प्राकृतिक आपदाओं या प्रतियोगी परीक्षाओं के कारण स्कूल बंद रहे। अब जब सरकार ने 20 नवंबर से समान अर्द्धवार्षिक परीक्षा घोषित कर दी है, तो शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों पर दबाव बढ़ गया है।
राज्य में शिक्षकों की भारी कमी भी पढ़ाई की रफ्तार रोक रही है। फिलहाल व्याख्याताओं के **45 हजार**, वरिष्ठ शिक्षकों के **41,683**, और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं। वहीं अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में चयन के बाद हिंदी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की और अधिक कमी हो गई है।
70 दिन ही हुई पढ़ाई
शिविरा पंचांग के अनुसार जुलाई से अक्टूबर तक 88 दिन स्कूल लगने थे, लेकिन शिक्षण कार्य महज 70 दिन ही हुआ। जुलाई में 27, अगस्त में 23, सितंबर में 22 और अक्टूबर में 16 कार्य दिवस निर्धारित थे। 13 से 24 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश और बरसात के दौरान कई स्कूलों के जर्जर भवनों के कारण छुट्टियां रहीं।
सिर्फ 35 से 45 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक स्कूलों में औसतन **35 से 45 प्रतिशत** पाठ्यक्रम ही पूरा हो पाया है, जबकि विभाग ने 15 नवंबर तक पाठ्यक्रम पूर्ण करने के निर्देश जारी किए थे। हालात को देखते हुए विभाग ने नवंबर में किसी अन्य गतिविधि पर रोक लगाते हुए सिर्फ शिक्षण कार्य पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा निदेशक बोले — अब सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान
इस बारे में शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने कहा कि नवंबर में सभी स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई पर फोकस रहेगा। विभाग का प्रयास है कि निर्धारित समय में पूरा पाठ्यक्रम करवाया जा सके।
जो हिस्सा पढ़ाया जाएगा, उसी से प्रश्नपत्र तैयार होंगे। 20 नवंबर तक 70 से 80 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा हो जाएगा।
