दिसंबर की ठिठुरन ने बदली शहर की लय, सुबह की दिनचर्या से लेकर बाजार तक सब पर दिखा असर

दिसंबर की ठिठुरन ने बदली शहर की लय, सुबह की दिनचर्या से लेकर बाजार तक सब पर दिखा असर
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दिसंबर के दूसरे सप्ताह में सर्दी ने अचानक ऐसा करवट ली कि पूरे शहर की रफ्तार बदल गई। ठंडी हवा के तेज झोंकों ने लोगों को यह महसूस करा दिया है कि अब वास्तविक सर्दी दस्तक दे चुकी है। बीते कुछ दिनों से सुबह की हवा में इतनी ठंड घुल गई है कि शहर के कई हिस्सों में लोग घरों से निकलने में हिचकिचाने लगे हैं। जहां रोजाना सूरज की पहली किरण के साथ पार्कों में वॉकर दिखाई देते थे, अब पार्क लगभग खाली नजर आने लगे हैं। लोग देर से उठ रहे हैं और सुबह की गतिविधियों में देरी साफ झलक रही है।

स्थानीय निवासी अनिता बताती हैं कि पहले वे सुबह छह बजे या साढ़े छह बजे ही वॉक के लिए निकल जाती थीं, लेकिन अब सात बजे भी बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। हवा इतनी तेज और ठंडी है कि चेहरे और हाथ तुरंत सुन्न हो जाते हैं। इसी बदलाव का असर उन लोगों पर भी दिख रहा है जो नियमित रूप से मॉर्निंग जॉगिंग करते थे। कई लोगों ने तो सुबह के कार्यक्रम पूरी तरह बदल दिए हैं और देर से उठकर दिन की शुरुआत कर रहे हैं।

सर्दी का असर शहर के बाजारों पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। कपड़ों की दुकानों में मफलर, हूडी, स्वेटर और दस्तानों की मांग बढ़ गई है। कई दुकानों पर सुबह से ही खरीदारों की भीड़ नजर आ रही है। मुख्य बाजार में दुकान चलाने वाले पिंकू खोतानी बताते हैं कि सर्दी बढ़ने के साथ ही मूंगफली, गजक और गुड़ की मांग तेजी से बढ़ी है। ग्राहक सुबह से ही ऐसी चीजें खरीदने पहुंच रहे हैं जो ठंड में शरीर को गर्म रखती हैं। चाय की दुकानों पर भी सुबह से ही काफी भीड़ देखी जा रही है। लोग हाथ तापते हुए गरमा गरम चाय की चुस्कियां लेकर ठंड भगाने की कोशिश कर रहे हैं।





शहर ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में तो ठंड का असर और भी ज्यादा महसूस किया जा रहा है। गांवों में दूध संग्रहण, सब्जियों की सप्लाई और दैनिक कामकाज में देरी होने लगी है। पशुपालक सुबह के समय अपने काम करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। पशुपालक सत्यनारायण गढ़वाल बताते हैं कि ठंड इतनी बढ़ गई है कि सुबह पानी की बाल्टी पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है। हाथ सुन्न हो जाते हैं और काम की गति धीमी पड़ जाती है। पशुओं को पानी पिलाने, चारा डालने और अन्य कार्यों में पहले से कहीं अधिक समय लग रहा है।

स्कूलों में भी सर्दी का असर नजर आने लगा है। कई अभिभावक बच्चों को सुबह जल्दी भेजने को लेकर चिंता जता रहे हैं। कुछ निजी स्कूलों ने तो समय में हल्का परिवर्तन भी किया है ताकि बच्चों को कड़ाके की ठंड में बाहर न निकलना पड़े। वहीं सड़क किनारे दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के लिए सर्दी ने अतिरिक्त परेशानी पैदा की है। उनकी रोजमर्रा की कमाई सुबह की देरी के कारण प्रभावित हो रही है।

दिसंबर की इस अचानक कड़ी ठंड ने शहर से लेकर गांव तक सभी की दिनचर्या बदल दी है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने और गर्म कपड़ों का अधिक इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।इधर, कपड़ों की दुकानों में भी ठंड के कारण भीड़ बढ़ गई है। बाजारों में जैकेट, मफलर, टोपी और स्वेटर की बिक्री अचानक तेज हुई है। दुकानदारों ने बताया कि लोग गर्म कपड़े खरीदने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं, क्योंकि मौसम में अचानक बदलाव ने सभी को तैयार रहने पर मजबूर कर दिया है। स्थानीय बाजारों में 'अर्ली विंटर डिस्काउंट' के नाम पर दुकानदारों ने बिक्री बढ़ाने का जो अवसर पकड़ा है, वह भी सोशल मीडिया पर मीम्स का विषय बन गया है। कई मज़ाकिया पोस्ट्स में लिखा गया—“ठंड आई नहीं, दुकानदारों ने पहले ही ऑफर की बौछार कर दी।”

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