नेपाल में संवैधानिक संकट का अंत: सुशीला कार्की बनीं पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री

नेपाल में संवैधानिक संकट का अंत: सुशीला कार्की बनीं पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री
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नेपाल में पिछले पांच दिनों से चले आ रहे जेन-जी (Gen Z) आंदोलन ने देश को गंभीर संकट में डाल दिया था, लेकिन शुक्रवार को सात घंटे की मैराथन बैठक के बाद एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई, जो नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शीतल भवन में भारतीय समयानुसार रात्रि 8:30 बजे (नेपाली समय रात्रि 9 बजे) उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस फैसले के साथ ही नेपाली संसद को भंग कर दिया गया, जो प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी।



बैठक का मंथन और संवैधानिक बाधाओं का समाधान

बैठक में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल, कानूनविद ओमप्रकाश आर्याल, जेन-जी प्रतिनिधि और सुशीला कार्की खुद शामिल थे। गुरुवार रात को कार्की के नाम पर सहमति बनने के बाद शुक्रवार को संवैधानिक बाधाओं—जैसे कि गैर-सांसद को प्रधानमंत्री बनाने की प्रक्रिया—पर विस्तृत चर्चा हुई। नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत यह नियुक्ति संभव हुई। जेन-जी की कई मांगों (जैसे भ्रष्टाचार विरोधी सुधार, चुनावी प्रक्रिया) में से अभी केवल कार्की की नियुक्ति और संसद भंग पर फैसला हुआ है।

मंत्रिपरिषद का गठन: कार्की की सरकार तीन सदस्यीय हो सकती है, लेकिन सदस्यों के नाम अभी तय नहीं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, दो अन्य मंत्री भी शपथ लेंगे।

चुनाव की राह: अंतरिम सरकार के गठन के बाद छह महीने के अंदर आम चुनाव कराने की योजना है, जो जेन-जी की मांग के अनुरूप है।

यह फैसला हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया, जिसमें 51 से अधिक मौतें, 1,300 घायल और 12,500 कैदी जेलों से भाग चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद कार्की को चुना, क्योंकि वे उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी छवि से प्रभावित थे।

जेन-जी आंदोलन का बैकग्राउंड: चेतावनी से सहमति तक

जेन-जी समूह—मुख्य रूप से युवा प्रदर्शनकारी—ने भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया प्रतिबंध और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ आंदोलन तेज किया था। गुरुवार को सेना मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई, जब एक गुट ने कार्की के नाम का विरोध किया (उन्हें 'भारत समर्थक' बताकर)। स्थिति बेकाबू होती दिखी, तो जेन-जी ने शुक्रवार सुबह से आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।

इसके बाद राष्ट्रपति, सेना प्रमुख और कानूनविदों के साथ बैठकें शुरू हुईं। सभी पक्ष संवैधानिक मर्यादा में रहकर समाधान पर सहमत हुए। स्थानीय जनता ने भी राष्ट्र भावना और लोकतंत्र की रक्षा पर जोर दिया। अंततः कार्की के नाम पर सहमति बनी, जो ऑनलाइन सर्वे में 58% वोट हासिल कर चुकी थीं। काठमांडू मेयर बालेन शाह ने भी उनका समर्थन किया।

सुशीला कार्की का सफर: न्याय से सत्ता तक

सुशीला कार्की (जन्म: 7 जून 1952, विराटनगर) नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (2016-2017) रहीं। उनका कार्यकाल भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के लिए जाना जाता है, जैसे लोकमान सिंह कार्की की भ्रष्टाचार जांच आयोग में नियुक्ति रद्द करना। हालांकि, राजनीतिक दबाव में उनका कार्यकाल एक साल से कम चला।

शिक्षा: त्रिभुवन विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी; बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में एमए (1975)।

व्यक्तिगत जीवन: पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी नेपाली कांग्रेस से जुड़े। कार्की ने जेल जीवन पर उपन्यास 'कारा' लिखा, जो 1990 के जनआंदोलन के दौरान उनकी कैद पर आधारित है।

भारत से जुड़ाव: कार्की ने भारत-नेपाल सांस्कृतिक संबंधों की तारीफ की है और पीएम मोदी की कार्यशैली की सराहना की। उन्होंने कहा, "भारत ने नेपाल की बहुत मदद की है।"

उम्मीदें और चुनौतियां

अंतरिम सरकार से राजनीतिक स्थिरता, पारदर्शिता और सुशासन की अपेक्षा है। जेन-जी आंदोलन ने युवाओं को राजनीति में मुख्यधारा ला दिया, लेकिन हिंसा के बाद पुनर्निर्माण चुनौतीपूर्ण होगा। कार्की ने कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेंगी और छह महीने में चुनाव सुनिश्चित करेंगी। X (पूर्व ट्विटर) पर यूजर्स ने इसे 'ऐतिहासिक क्षण' बताया, हालांकि कुछ ने Discord पोल के माध्यम से चयन पर सवाल उठाए।यह घटना नेपाल की राजनीति में युवा शक्ति और महिला नेतृत्व का प्रतीक है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत देती

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