आईना ए शहर: सड़क पर कई कटआउट रखे थे... गायों के... बैठी गायें, खड़ी गाये, भागती गायें, मारती गायें ... अजीब दृश्य था
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने मैं जब यातायात कार्यालय गया तो बताया कि आजकल ट्रायल देना जरूरी है.. जाऔ..रूम नं 2 में गुप्ता जी से मिलो…
रूम नं 2 के गुप्ता जी मुझे ट्रैफिक पार्क ले गये, बोले.. “इस कार से ये सड़क पार करके दिखला दो. तुम्हारा लाइसेंस कल ही बन जायेगा...
मैनें देखा उस सड़क पर कई कटआउट रखे थे... गायों के... बैठी गायें, खड़ी गाये, भागती गायें, मारती गायें ... अजीब दृश्य था... मैंने कहा गुप्ता साहब ... ये सब क्या है …?
गुप्ता जी बोले- भाईसाहब ..देख तो रहे हो.. कुछ गायें है.. कुछ बैल है ।
मैने कहा..यहां कैसे गाड़ी चलाऊंगा सर, इन्है तो हटवाइये..
गुप्ता जी मुस्कुराकर शांत भाव से बोले -- इन्ही के बीच तो चलानी है.. यही तुम्हारा टेस्ट है ..गायें सड़क पर स्थायी है..
शहर के चौराहे पर टैफिक लाईट और ट्रैफिक पुलिस भले ही ना मिले .. ये गायें तो पक्का मिलेगी । इन्है ना सरकार हटा सकती है, ना तुम, ना हम.. इन्ही को बचाते हुए सड़क पार करनी है… हमको भी आगे से आदेश है…
मैं घबरा गया, गुप्ता जी बोले .. डरो मत, गाय बड़ा सीधा और उपयोगी पशु है, तुम सिर्फ इनके दूध के फायदे बता सकते हो, लेकिन इनका राजनीति में जो उपयोग होता है, वह दूध से कई गुणा ज्यादा फायदेमंद है। सो हम सबको इन्ही के साथ आगे बढ़ना है... हर सड़क पर भी..
"आप सही कह रहे हो सर.. पर गायें यहां सडक पर क्यों है ? वाहन कैसे चलायेगें .. पैदल में भी खतरा है।
गुप्ता जी बोले.. खतरे की बात मत करो.. इसे लाइफ का हिस्सा समझो.. वो जो उधर कमरा है ना .. उसमें ऐसे खतरों में घायल और शहीद हुए व्यक्तियों की सूची भी है और चित्र भी… वो भी देखना...
मैं डर गया.. "लोग इन्है सड़क पर क्यों छोड़ देते.. कितना डर बना रहता है।
गुप्ता जी फिर मुस्कुरायें.. “गाय जब तक दूध दे तब तक घर में सही है.. बाद में घर से निकाल दी जाती है तो ये फिर सड़क पर आ जाती है..
ये भी जानती है कि सड़क पर आने से ही आदमी का मूल्य बढता है, हर सफल आदमी को भी पहले सडकों पर बैठना पडता है तब कहीं जाकर आगे पहुंचता है ।
मैने कहा .. तो क्या ये गायें भी आगे पहुंचना चाहती है?
गुप्ता जी गंभीर होकर बोले.. गायें आगे पहुंचती नहीं, पहुंचाती है, ये रास्ते बंद नहीं करती, रास्ते दिखाने के काम करती है, सो इनका सड़क पर रहना बहुत जरूरी है.. ऐसा शायद सरकार भी सोचती है।
मैंने हाथ जौड लिये… सर बात सौ फीसदी सच है , मगर अभी इस सड़क पर ड्राइव कैसै करूँ ?? ...
सिम्पल है.. जैसे पूरा शहर कर रहा है.. तुम भी करो.. चलाना तो आगे भी इनको बचाते हुए ही… यही तुम्हारी परीक्षा है.. अभी यहां तो गाय बैलों के सिर्फ कट आऊट रखे है.. शहर की सड़को पर तो असली की भरमार है.. अब ज्यादा टाईम खराब ना करो.. ये लो चाबी, हो जाऔ शुरू.... बेस्ट ऑफ लक ।
इतना कहकर गुप्ता जी ट्रेफिक पार्क के एक कमरे में अर्न्तध्यान हो गये और मैं एक नजर कार की चाबी को.. एक नजर गायों के कटआउट को निहारता वहीं खड़ा रह गया ।।
( kgkadam)