परिवारवाद से इस बार भी नहीं निकल पाया बिहार, पार्टियों ने जमकर दिए टिकट

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी परिवारवाद का बोलबाला साफ दिख रहा है। एनडीए, महागठबंधन और अन्य दलों ने फिर राजनीतिक घरानों पर भरोसा जताया है। प्रदेश में सत्ता की राह तलाश रही सभी प्रमुख पार्टियां — भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस, लोजपा (रामविलास), रालोमो, हम और वीआईपी — लगभग हर दल ने अपने नेताओं के बेटे, बेटियों, बहुओं और भतीजों को टिकट देकर राजनीतिक वंशवाद की परंपरा को और मजबूत कर दिया है।
भाजपा में बढ़ेगी राजनीतिक विरासत
पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी तारापुर से, झंझारपुर से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा, जमुई से दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह, औरंगाबाद से पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह के बेटे त्रिविक्रम सिंह, बांकीपुर से नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के बेटे नितिन नवीन, औराई से अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद, तरारी से सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत, सभी भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
प्राणपुर से निशा सिंह, परिहार से गायत्री देवी, बड़हरा से राघवेंद्र प्रताप सिंह, दीघा से संजीव चौरसिया, मधुबन से राणा रणधीर और गोरियाकोठी से देवेतकांत सिंह जैसे नाम भी राजनीति घरानों से आते हैं।
जदयू ने सांसदों और मंत्रियों की संतानों पर जताया भरोसा
जदयू ने शिवहर सांसद लवली आनंद व पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को नवीनगर से उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के बेटे अभिषेक कुमार चेरिया-बेरियापुर से और अरुण कुमार के बेटे ऋतुराज कुमार घोसी से मैदान में हैं। गायघाट से सांसद की बेटी कोमल सिंह, चकाई से नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित सिंह, मांझी से प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह, इस्लामपुर से राजीव रंजन के बेटे रूहेल रंजन और राजगीर से सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर को टिकट मिला है।
हम ने मां-बेटी और चाचा-भतीजा पर खेला दांव
एनडीए घटक ‘हम’ को मिली छह सीटों में से चार पर परिवार के लोगों को उतारा गया है। बाराचट्टी से जीतनराम मांझी की समधन ज्योति देवी और इमामगंज से उनकी बहू दीपा कुमारी प्रत्याशी हैं। अतरी से अनिल कुमार के भतीजे रोमित कुमार को टिकट मिला है।
रालोमो और लोजपा आर भी पीछे नहीं
रालोमो के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को सासाराम से और मंत्री संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह को दिनारा से प्रत्याशी बनाया है।
चिराग पासवान की लोजपा आर ने भी अपने राजनीतिक रिश्तों पर भरोसा जताया है। गोविंदगंज से राजू तिवारी (पूर्व विधायक राजन तिवारी के भाई), ब्रह्मपुर से हुलास पांडेय (विधायक प्रशांत के चाचा) और गरखा से चिराग के भांजे सीमांत मृणाल को टिकट मिला है।
राजद में विरासत की पूरी श्रृंखला
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के पुत्र हैं। पार्टी ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को रघुनाथपुर, शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को शाहपुर, जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को रामगढ़, और ओबरा से पूर्व मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि कुमार को टिकट दिया है।
जहानाबाद, बेलागंज, बेलहर, कुर्था, जौकीहाट, उजियारपुर, मोकामा और लालगंज जैसी सीटों पर भी राजद ने नेताओं के परिजनों को मैदान में उतारा है।
लेफ्ट और जनसुराज भी वंशवाद से अछूते नहीं
भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय के बेटे राकेश पांडेय हरलाखी से उम्मीदवार हैं। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को अस्थावां और कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को मोरवा से प्रत्याशी बनाया है।
वीआईपी और कांग्रेस ने भी जारी रखी परंपरा
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी को गौड़ा-बौराम से टिकट दिया है। कांग्रेस ने कुटुंबा से राजेश राम (पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के बेटे) और नरकटियागंज से शाश्वत केदार (पूर्व सांसद विनोद पांडेय के पुत्र) को मैदान में उतारा है।
राजनीति में अब पत्नियों की जगह पतियों का दौर
गौड़ा-बौराम सीट से भाजपा ने सुजीत कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जहां वर्तमान विधायक उनकी पत्नी स्वर्णा सिंह हैं। वहीं, मोकामा से अनंत सिंह इस बार खुद मैदान में हैं, जबकि पिछली बार उनकी पत्नी राजद टिकट पर जीती थीं।
दलवार वंशवाद का गणित
भाजपा 14
जदयू 11
राजद 18
हम 5
रालोमो 3
लोजपा आर 3
वीआईपी 2
