झटका: राजस्थान की इन पांच सीटों पर फंस गया पेच, जानिए कांग्रेस जीतेगी या बीजेपी

राजस्थान की  इन पांच  सीटों पर फंस गया पेच, जानिए कांग्रेस जीतेगी या बीजेपी
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राजस्थान में 25 लोकसभा सीटों पर शुरुआती दो चरणों में मतदान हुआ था। राजस्थान के रण में कमल खिलेगा या कांग्रेस कमाल दिखाएगी? इसे लेकर तस्वीर 4 जून को ही साफ होगी। ऐसे में ये देखना दिलचस्प है कि इस बार राजस्थान में किसका पलड़ा भारी रहने वाला है। हालांकि, कल आए ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है कि राजस्थान में भाजपा एवं एनडीए की सीटों की संख्या में कमी देखने को मिल सकती है।राजस्थान के एग्जिट पोल में एनडीए को 51 फीसदी और इंडिया ब्लॉक को 41 फीसदी वोट मिलने के अनुमान जताए गए हैं। एनडीए को 16 से 19 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, विपक्षी इंडिया ब्लॉक को पांच से सात सीटें मिलती दिख रही हैं।

25 लोकसभा सीटों में टोंक सवाईमाधोपुर, धौलपुर-करौली, भरतपुर-एससी, झुंझुनूं, चूरू जैसी आधा दर्जन से अधिक सीटों पर मुकाबले ने रहस्य बनाकर रखा है। यानी यहां कौन जीतेगा और किसकी हार होगी, अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। इस चुनाव में ध्यान देने वाली बात यह है कि राजस्थान में बीजेपी ने किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस ने 3 सीटों पर सीपीआई, आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) और बीएपी (भारतीय आदिवासी पार्टी) के साथ गठबंधन किया है।


आइये जानते हैं आधा दर्जन हॉट सीटों में से पांच सीटें ऐसी हैं, जिसमें बीजेपी-कांग्रेस कांटे की टक्कर में फंसी हुई है।

1. टोंक सवाईमाधोपुर

टोंक सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को तीसरी बार टिकट दिया है। कांग्रेस ने हरीश चंद्र मीणा को टिकट दिया है। ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो इस सीट पर 10 साल से सांसद रहने से जौनपुरिया के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी देखी जा सकती है।

जनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जौनपुरिया सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव मैदान में हैं। दूसरी तरफ हरीश मीना को स्थानीय फैक्टर के साथ-साथ सचिन पायलट का सपोर्ट मिल रहा है। पायलट टोंक से विधायक हैं और उनकी साख भी जुड़ी हुई है। गुर्जर और मीणा वोट बैंक का ध्रुवीकरण रहा और अन्य जातियों से जो ज्यादा वोट लेगा उसे फायदा मिलेगा।

2. धौलपुर-करौली

इस सीट से भाजपा की इंदु देवी जाटव और कांग्रेस के भजनलाल जाटव, दोनों एक ही समाज से आते हैं। ये समाज यहां सबसे बड़ा वोट बैंक है। अनुमान है कि इस बार के चुनाव में दोनों दलों के प्रत्याशियों के बीच वोट शेयर हो सकता है। जिस वजह से इस सीट पर दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। कुल मिलाकर इस सीट पर दोनों प्रत्याशियों में अच्छी टक्कर है।

3. भरतपुर-एससी

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले की ये सीट जातिगत समीकरणों में फंसी हुई है। कोली समाज के मुकाबले जाटव समाज का वोट बैंक ज्यादा है, लेकिन जनरल वोट बैंक भाजपा का माना जाता है।

इस सीट पर ओबीसी वोटर्स का रुख ही नतीजा तय करेगा। इस चुनाव में यहां जाट आरक्षण मुद्दा बना, इस कारण ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर जाट समाज में बीजेपी (केंद्र सरकार) के लिए नाराजगी है। इस सीट पर दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है।

4. झुंझुनूं

राजस्थान की झुंझुनूं लोकसभा सीट के लिए अब तक 17 बार हुए चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि, बीते दो चुनावों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। शेखावाटी के तहत आने वाले झुंझुनूं लोकसभा सीट के लिए इस बार मुकाबला बीजेपी के शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के बृजेंद्र ओला के बीच है। कांग्रेस के दबदबे वाली झुंझुनूं लोकसभा सीट पर बीते दो बार से बीजेपी काबिज है। लेकिन ओला भारी पड़ते दिख रहे हैं। यहां से सांसद नरेंद्र कुमार का टिकट कटने से उनके समर्थक भी बीजेपी से नाराज हैं। यहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर है।

5. चूरू

चूरू लोकसभा सीट को लेकर भाजपा का ही गढ़ कहा जाता रहा है। यहां पर रामसिंह कस्वा चार बार जीते हैं। इसके बाद इनके बेटे वर्तमान सांसद राहुल कस्वां ने यह विरासत संभाली। वे दो बार से लगातार यहां से सांसद रहे। ऐसे में यहां से कुल मिलाकर 6 बार भाजपा ही जीती और छहों बार कस्वां परिवार के सदस्य ही संसद तक पहुंचे।

वहीं, भाजपा से टिकट कटने के बाद राहुल कस्वां कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। राहुल दो बार और उनके पिता इस सीट से चार बार सांसद रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की ओर से अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस को इस राजनीतिक विरासत का फायदा मिल सकता है।

इस बार भाजपा ने नए चेहरे पैरा ओलिंपियन देवेंद्र झाझड़िया को उतारा है। यहां भाजपा का पूरा कैंपेन राठौड़ ने संभाला। अनुमान यह भी है कि देवेंद्र को साफ छवि का फायदा मिल सकता है। एक कारण यह भी है कि यहां जाट वोट बैंक सबसे बड़ा है। कुल मिलाकर इस सीट पर कस्वां-झाझड़िया के बीच अच्छी खासी टक्कर है।

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