भीलवाड़ा के कपड़ा कारोबार पर ट्रंप का टैरिफ अटैक:: 25% शुल्क बढ़ोतरी से कपड़ा फैक्ट्रियों पर संकट गहराया

भीलवाड़ा( विजय गढ़वाल हलचल): वस्त्रनगरी भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले विभिन्न उत्पादों पर 25% टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने की घोषणा ने स्थानीय कपड़ा निर्यातकों की नींद उड़ा दी है। 1 अगस्त, 2025 से लागू होने वाले इस फैसले से भीलवाड़ा सहित पूरे देश के टेक्सटाइल निर्यातक चिंतित हैं, क्योंकि इससे उनके कारोबार पर बड़ा असर पड़ने की आशंका है।भीलवाड़ा में तो पहले ही कपड़ा कारोबारियों की खास कर छोटे कारोबारियों की हालत खराब हे कई तो मजबूरी में फैक्ट्रियां चला रहे हे ऊपर से ट्रंप के अटेक से से राजस्थान के निर्यातकों में हड़कंप मच गया है।र 25% टैरिफ व्यापारिक रिश्तों पर मंडराया संकट
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गहराता संकट:भीलवाड़ा का कपड़ा उद्योग, विशेष रूप से छोटे व्यवसायी, पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और ऊर्जा लागत में वृद्धि ने उनकी कमर तोड़ रखी है। ऐसे में ट्रंप का यह नया 'टैरिफ अटैक' जले पर नमक छिड़कने जैसा है।छोटे व्यवसायी, पहले से ही कई चुनौतियों का सामना
छोटे व्यवसायी, पहले से ही कई चुनौतियों का सामना
राजस्थान से होने वाले कुल ₹85,000 करोड़ के निर्यात में अमेरिका की भागीदारी ₹17,000 करोड़ से अधिक है। इस टैरिफ वृद्धि से सबसे ज़्यादा असर ₹1,500 करोड़ के गारमेंट और टेक्सटाइल सेक्टर पर पड़ेगा। पहले जहाँ टेक्सटाइल पर मात्र 5.5% शुल्क लगता था, वहीं अब 25% शुल्क लगने से अमेरिकी बाज़ार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बुरी तरह प्रभावित होगी।
राय:उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ भारतीय कपड़ों को अमेरिकी बाज़ार में महंगा कर देगा, जिससे वियतनाम, बांग्लादेश और मैक्सिको जैसे देशों के उत्पाद अधिक आकर्षक हो सकते हैं। एक ओर जहाँ भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और राजस्थान टेक्सटाइल एवं अपैरल पॉलिसी-2025 जैसी पहलें उद्योग को नई गति देने का प्रयास कर रही हैं, वहीं अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करना मुश्किल होगा।
सरकार से मांग:भीलवाड़ा के कपड़ा कारोबारी इस बढ़े हुए टैरिफ पर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को बनाए रखने के लिए सरकार को उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं को और मजबूत करना चाहिए। इससे निर्यातकों को राहत मिलेगी और वे अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे।
उद्योगपतियों ने सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करे और अमेरिका के साथ बातचीत कर इस टैरिफ वृद्धि को कम कराने का प्रयास करे, ताकि भीलवाड़ा के हजारों श्रमिकों और उद्यमियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
देखो और प्रतीक्षा करो': फिलहाल, उद्योग जगत 'देखो और प्रतीक्षा करो' की नीति पर चल रहा है। उम्मीद है कि सरकार और उद्योग मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालेंगे और भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग को एक बार फिर से नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
