सिस्टम की नींद उड़ाने वाली सनसनी: एक नंबर से दो दो बसें सड़कों पर दौड़ रही, भीलवाड़ा से बाड़मेर तक फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर,

भीलवाड़ा हलचल. राजस्थान में एक नंबर की दो बसें चलना अब आम बात बन चुका है। भीलवाड़ा में आधा दर्जन बसें एक ही नंबर से दौड़ने का मामला सामने आने के बाद अब बाड़मेर के गुड़ामालानी स्थित आरजीटी ऑयल फील्ड में भी बड़ा फर्जीवाड़ा खुला है। आरोप है कि वेंडर कंपनी फर्जी दस्तावेजों के दम पर एक बस लगातार रिंग क्षेत्र में चला रही है, जबकि इसी नंबर की असली बस जालोर जिले के सांचौर में पहले से ही चल रही है। सवाल सीधा है कि क्या प्रदेश में परिवहन विभाग और पुलिस की निगाहें बंद हैं।
सूत्र बताते हैं कि असली बस पुराना खुली विंडो मॉडल है, जबकि रिंग क्षेत्र में दौड़ाई जा रही बस पैक ग्लास एसी मॉडल है। दोनों में जमीन आसमान का फर्क होने के बावजूद सिस्टम को कुछ नजर नहीं आता। यह कोई साधारण बात नहीं है। यह प्रदेश के सबसे बड़े गैस प्लांट रागेश्वरी डीप गैस प्लांट की सुरक्षा पर भी सीधा हमला है, जहां देश की करोड़ों की ऊर्जा व्यवस्था दांव पर रहती है।
सबसे बड़ा सवाल
अगर कल को हादसा हो जाए तो जिम्मेदारी कौन लेगा।
न बीमा कंपनी क्लेम देगी, न किसी की सुनवाई होगी।
यात्री, मजदूर और आम लोग बेमौत मरेंगे और फर्जी नंबर प्लेट का खेल खेलने वाले बच निकलेंगे।
बीमा कंपनियों के करोड़ों डूबेंगे और यात्रियों के परिवार न्याय के लिए भटकते रह जाएंगे।
सूत्र बता रहे हैं कि रायला, भीलवाड़ा, हमीरगढ़ और शाहपुरा डीटीओ कार्यालय क्षेत्र में कई बसें एक ही नंबर पर बेखौफ दौड़ रही हैं। हैरानी की बात यह है कि एक मालिक के पास ही ऐसी कई बसें होने की चर्चा है। यह कोई छोटी-मोटी गड़बड़ी नहीं बल्कि संगठित फर्जीवाड़ा है, जिसमें सिस्टम की मिलीभगत के बिना यह खेल मुमकिन नहीं।
अब गंभीर सवाल उठना लाजिमी है
परिवहन विभाग सो रहा है या सोने का नाटक कर रहा है।
पुलिस की चेकिंग सिर्फ गरीब बाइक वालों के लिए है या बस माफिया के लिए भी लागू होती है।
यातायात पुलिस क्या सिर्फ चालान काटने तक सीमित है या सड़क सुरक्षा की भी कोई जिम्मेदारी है।
प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि आखिर कब तक यह फर्जी नंबर प्लेट माफिया यात्रियों की जिंदगी को दांव पर लगाकर खुलेआम सड़कों पर राज करेगा।
