कोठारी नदी में बड़ा हादसा-: मिट्टी में दबकर दो मजदूर युवकों की मौत, मचा हडक़ंप, दो परिवारों पर टुटा दु:खों का पहाड़

भीलवाड़ा पुनीत । शहर के नजदीक कोठारी नदी में शनिवार सुबह मिट्टी का ढावा ढह जाने से दो मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसा उस समय हुआ जब चार युवक नदी किनारे मिट्टी की खुदाई कार्य में लगे हुए थे। पुलिस ने दोनों शवों को जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। इस हादसे से दो परिवारों पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
खुदाई के दौरान ढहा मलबा, दो युवक दबे
सदर थाना प्रभारी कैलाशकुमार विश्नौई ने बताया कि शनिवार सुबह चार युवक ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर कामधेनू बालाजी मंदिर के पीछे कोठारी नदी पहुंचे थे। सभी वहां मिट्टी की खुदाई कर रहे थे। इसी दौरान ढाया अचानक गिर गया, जिससे दो युवक दीपू सिंह (27) पुत्र भंवरसिंह रावणा राजपूत और पूरण (19) पुत्र दुर्गालाल बागरिया मिट्टी में दब गए।
मौके पर मचा हडक़ंप, दबे युवकों को निकाला
घटना होते ही साथ मौजूद उनके दो साथी राजू रैगर और सोहेल मोहम्मद चिल्लाते हुए मदद के लिए दौड़े। शोर सुनकर पास के मंदिर में मौजूद लोग मौके पर पहुंचे।
सूचना मिलते ही सदर थाना और सुभाषनगर थाना पुलिस जाब्ता भी मौके पर पहुंचा। ग्रामीणों की मदद से दोनों युवकों को निकालकर जिला अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजन बोले-बजरी निकालने गये थे
हादसे में जान गंवाने वाले दीपू की मां व पूरण के पिता ने कहा कि उनके बेटे बजरी निकालने गये थे। मां का आरोप है कि उसके बेटे को राजू रैगर ने फोन कर बुलाया था, जबकि पूरण के पिता का आरोप है कि उसके बेटे को नारायण गुर्जर पिछले कुछ दिनों से ले जा रहा था।
एक घंटे में लौटने की कहकर गया था दीपू
रोती-बिलखती मां ने कहा कि उसका बेटा सुबह करीब साढ़े छह बजे घर से निकला था। उसने जाने से पहले उससे मोबाइल और 50 हजार रुपये भी लिये। साथ ही यह भी कहा कि वह एक-दो घंटे में लौटकर आ जायेगा, लेकिन वह जिंदा लौटकर नहीं आया। मां ने कहा कि दो छोटी बेटियां है। एक तुतला कर बोलती है, जबकि दूसरी अभी छोटी है।
मना किया था, लेकिन वह ले गया
उधर, पूरण के पिता दुर्गालाल ने कहा कि सुबह चार बजे जब वह सो रहा था, तब उसका बेटा घर से निकला था । उसे नारायण गुर्जर रेत निकालने के लिए ले गया था। दुर्गा का कहना है कि उसने नारायण से बेटे को ले जाने से मना किया था, लेकिन वह नहीं माना। दुर्गा का कहना है कि उसका सहारा छिन गया। वह और उसकी पत्नी अक्सर बीमार रहते हैं। बेटा ही सहारा था, जो छिन गया।
