भीलवाड़ा की साख पर गहरी चोट: घोटालों का मकड़जाल: टैक्स चोरी, फर्जी बिलिंग और चंदे के काले खेल में सफेदपोशों के चेहरे बेनकाब

घोटालों का मकड़जाल: टैक्स चोरी, फर्जी बिलिंग और चंदे के काले खेल में सफेदपोशों के चेहरे बेनकाब
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© “कागजों पर कारोबार, खजाने पर डाका”

©“फर्जी बिलिंग से अरबों का चूना”

©“ 68 कंपनियां, अरबों का घोटाला”

भीलवाड़ा राजकुमार माली । कभी अपनी वस्त्र उद्योग के लिए 'मैंचेस्टर' के रूप में विख्यात भीलवाड़ा की पहचान अब वित्तीय घोटालों के एक बड़े केंद्र के रूप में बनती जा रही है। टैक्स चोरी, फर्जी बिलिंग और चंदे की आड़ में काले धन को सफेद करने के सुनियोजित खेल ने शहर की साख पर बट्टा लगा दिया है। एक के बाद एक हो रहे खुलासों ने न केवल प्रदेश, बल्कि देश की जांच एजेंसियों को भी सकते में डाल दिया है। हाल ही में सामने आए अरबों रुपये के घोटालों ने शहर के कई नामचीन और सफेदपोश चेहरों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं, । लोगों का कहना है कि बिना मेहनत के जनता की गाढ़ी कमाई और सरकारी खजाने को लूटने वाले इन बेईमानों के चेहरे जल्द से जल्द सामने लाए जाने चाहिए।

यह घोटाला कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि राजस्थान से लेकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश तक फैला एक संगठित अपराध का नेटवर्क है, जिसमें करोड़ों नहीं, अरबों रुपये की हेराफेरी की गई है। इस मकड़जाल का एक बड़ा खिलाड़ी, महेश त्रिवेदी, जब कानपुर आयकर विभाग की जांच के दायरे में आया, तो परत-दर-परत एक ऐसे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ, जिसने सबको हैरान कर दिया।

मास्टरमाइंड महेश त्रिवेदी का फर्जी साम्राज्य

घोटालों की इस श्रृंखला का सबसे चौंकाने वाला अध्याय गुर्जर मोहल्ला निवासी महेश त्रिवेदी ने लिखा है। त्रिवेदी न तो कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट है और न ही कोई पंजीकृत लेखाकार, लेकिन उसके दिमाग ने बेईमानी का एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया, जिसके तहत उसने पिछले कुछ सालों में 68 फर्जी कंपनियां और एक ट्रस्ट बना डाला। इन कागजी कंपनियों के जरिए उसने अकेले ही 32.29 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) घोटाले को अंजाम दिया।


त्रिवेदी का काम करने का तरीका बेहद शातिराना था। वह बिना किसी माल की खरीद-फरोख्त किए करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाता था और उन बिलों के आधार पर सरकार से आईटीसी क्लेम करता था। इस अवैध रूप से हासिल किए गए आईटीसी को वह बाजार में अन्य कंपनियों को 1 से 6 प्रतिशत के कमीशन पर बेच देता था, जिससे उन्हें टैक्स चोरी करने में मदद मिलती थी। जांच में पता चला कि उसने सबसे पहले 'वल्लभ इंडस्ट्रीज' नाम से एक फर्म बनाई, जिसे महावीर सिंह चंदावत के नाम पर पंजीकृत दिखाया गया। इस फर्म से की गई नकली आपूर्ति का 92% हिस्सा 'राजलक्ष्मी एक्जिम' नामक एक अन्य फर्म को दिखाया गया, और इस तरह लगभग 1.52 करोड़ रुपये की आईटीसी की हेराफेरी की गई। इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए उसने गांधीनगर स्थित स्वदेशी मार्केट और महेश बैंक के ऊपर स्थित कार्यालयों को अपना अड्डा बना रखा था।

मोबाइल, नकली खाते और 'अनागड़िया' सिस्टम का खेल

महेश त्रिवेदी ने अपने इस काले कारोबार को चलाने के लिए तकनीक और पारंपरिक हवाला प्रणाली, दोनों का भरपूर इस्तेमाल किया। उसने फर्जी लेन-देन को अंजाम देने के लिए कीपैड वाले साधारण फोन से लेकर स्मार्टफोन, दर्जनों चेकबुक, डेबिट-क्रेडिट कार्ड और विभिन्न बैंकों में नकली खाते खुलवा रखे थे। उसके पास न कोई गोदाम था, न ही कोई माल, सारा खेल सिर्फ कागजों पर चलता था। जब फर्जी बिलों से आईटीसी के जरिए पैसा बैंक खातों में आता, तो उसे स्थानीय स्तर पर 'अनागड़िया सिस्टम' (एक प्रकार का अनौपचारिक कूरियर और हवाला नेटवर्क) के माध्यम से नकद में बदल दिया जाता था। इस नकद राशि में से अपना मोटा कमीशन काटकर वह बाकी रकम को ठिकाने लगा देता था। उसने अधिराज मल्टीट्रेड प्रा.लि., शिवविदित मर्चेंट, और हेयरामभ एक्जिम जैसी कंपनियों के जरिए कीमती रत्नों के नाम पर करोड़ों का कागजी कारोबार दिखाकर अपने फर्जीवाड़े को और भी बड़ा रूप दिया।

अन्य बड़े खिलाड़ी भी जांच की आंच में


यह घोटाला सिर्फ महेश त्रिवेदी तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में, डीजीजीआई (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस) ने भीलवाड़ा के प्रतिष्ठित 'रत्नाकर ग्रुप' पर छापा मारा, जिसमें 28.70 करोड़ रुपये की भारी-भरकम टैक्स चोरी का खुलासा हुआ। इसके अलावा, शहर में चंदे का खेल भी लंबे समय से चल रहा है, जिसमें एक दर्जन से अधिक सीए, फर्जी सीए और कुछ राजनेताओं का एक मजबूत गठजोड़ पहले ही सामने आ चुका है। यह गठजोड़ ट्रस्टों और संस्थाओं को दिए जाने वाले चंदे की आड़ में काले धन को सफेद करने का गोरखधंधा चलाता है। जांच एजेंसियां मान रही हैं कि यह सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है और आने वाले दिनों में कई और सफेदपोश लोगों के काले चेहरे सामने आ सकते हैं।


एजेंसियों का शिकंजा और जनता की मांग

महेश त्रिवेदी के खुलासे के बाद आयकर विभाग, सीजीएसटी और डीजीजीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं। त्रिवेदी द्वारा संचालित 32 प्रमुख कंपनियों, जिनमें अम्बे ट्रेडर्स, अरिहंत मार्केटिंग, द्वारिका स्टील एंड आयरन, गगन ट्रेडिंग, राजलक्ष्मी एक्जिम, शक्ति ट्रेडर्स, और शगुन इंटरनेशनल जैसी फर्में शामिल हैं, अब एजेंसियों की पैनी नजर में हैं। इन कंपनियों के बैंक खातों और लेन-देन की गहन जांच की जा रही है।

शहर में इन घोटालों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। आम नागरिक इस बात से हैरान और आक्रोशित हैं कि कैसे कुछ लोग बिना किसी डर के सरकारी खजाने को अरबों का चूना लगा रहे हैं। अब समाज के हर वर्ग से यह मांग उठ रही है कि इस फर्जीवाड़े में शामिल सभी छोटे-बड़े किरदारों को बेनकाब किया जाए और उनके खिलाफ कठोर से कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह का अपराध करने की हिम्मत न कर सके। DGGI, आयकर विभाग और सीजीएसटी की कार्रवाइयों ने साफ कर दिया है कि सरकार अब टैक्स चोरी और फर्जी बिलिंग के मामलों में सख्ती बरतेगी। लेकिन यह भी सच है कि इन खुलासों ने भीलवाड़ा की साख पर गहरी चोट की है। आज हालात यह हैं कि उद्योग नगरी भीलवाड़ा का नाम ईमानदार कारोबार से ज्यादा फर्जीवाड़े और टैक्स चोरी के मामलों से जोड़ा जाने लगा है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे और चेहरे बेनकाब होंगे।


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