कुबेरेश्वर धाम में अव्यवस्था बनी मौत का कारण:: तीसरे दिन भी एक श्रद्धालु की मौत, अब तक 6 की गई जान ,अगले महीने भीलवाड़ा में होने वाली हे कथा

तीसरे दिन भी एक श्रद्धालु की मौत, अब तक 6 की गई जान ,अगले महीने भीलवाड़ा में होने वाली हे कथा
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कुबेरेश्वर धाम में आयोजित रुद्राक्ष महोत्सव और कांवड़ यात्रा श्रद्धा के बजाय अब चिंता और अफरातफरी का प्रतीक बनती जा रही है। पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित इस धार्मिक आयोजन में अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा रहा कि तीन दिन में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हैं। इसके बावजूद आयोजनकर्ता की ओर से अब तक कोई ठोस जिम्मेदारी नहीं ली गई है।भीलवाड़ा में भी अगले महीने प मिश्रा की कथा का वाचन होना हे इसकी तेयारिया चल रही हे

तीसरे दिन एक और मौत, कुल 6 श्रद्धालु गंवा चुके हैं जान

गुरुवार सुबह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी उपेंद्र गुप्ता (22) की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के अनुसार दम घुटने या अत्यधिक भीड़ के कारण यह घटना हुई। इससे पहले बुधवार को हरियाणा, गुजरात और छत्तीसगढ़ से आए तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। मंगलवार को भी दो महिलाएं भीड़ में दबकर जान गंवा चुकी थीं।

भीड़ का अनुमान नहीं, व्यवस्थाओं का अभाव




पंडित प्रदीप मिश्रा की कथाओं में उमड़ने वाली भारी भीड़ कोई नई बात नहीं है। इसके बावजूद स्थानीय समिति और प्रशासन ने उचित तैयारियां नहीं कीं। इंदौर-भोपाल हाईवे और डायवर्जन रोड पर लगभग 18 किमी लंबा जाम लगा रहा, जिसमें एम्बुलेंस तक फंसी रहीं। रात 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक करीब 20 घंटे वाहन रेंगते रहे। लोगों को 5-5 घंटे जाम से निकलने में लगे।

मृतकों की सूची में कौन-कौन

* चतुर भाई (50)**, पंचावल, गुजरात – भीड़ में गिरने से मौत

* ईश्वर सिंह यादव (65)**, झज्जर, हरियाणा – गिरने के बाद सांस रुक गई

* दिलीप सिहारी (57)**, रायपुर, छत्तीसगढ़ – भीड़ में दबकर जान गई

* सुशीला देवी (पत्नी)** और अन्य घायल

* सुनीता (50)** – पैर टूट गया

* मनीषा (48)** – बेहोश, हालत नाजुक

* उपेंद्र गुप्ता (22)**, गोरखपुर – गुरुवार को मौत

प्रशासन बना रहा मूकदर्शक, समिति जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती दिखी

पूर्व अपर कलेक्टर वी.के. चतुर्वेदी ने भी माना कि व्यवस्थाएं अपर्याप्त थीं। “समिति को चाहिए था कि वह भीड़ के अनुमान के मुताबिक वालंटियर्स, प्राथमिक चिकित्सा व ट्रैफिक मैनेजमेंट की समुचित व्यवस्था करती,” उन्होंने कहा। लेकिन समिति यह कहकर बचती रही कि इतने लोगों की भीड़ की उम्मीद नहीं थी।

विवादों के बीच मिश्रा की अगली कथा भीलवाड़ा में

अगले महीने पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन भीलवाड़ा में भी प्रस्तावित है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रशासन इस बार सबक लेगा या फिर वही लापरवाही दोहराई जाएगी?

क्या बदलेगा कुछ?

श्रद्धा के नाम पर जान देने वाले इन निर्दोष लोगों की मौतें यह सवाल खड़ा करती हैं – क्या धर्म के आयोजनों में जिम्मेदारी, प्रबंधन और संवेदनशीलता को दरकिनार किया जा सकता है?

कथा वाचक हों या आयोजन समिति, श्रद्धालुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं – यह सामूहिक दायित्व है। अब समय आ गया है जब धार्मिक आयोजनों को भीड़ प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के सख्त नियमों के तहत लाया जाए।


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