नरसी मेहता भगवान के सच्चे भक्त थे - वैष्‍णव

नरसी मेहता भगवान के सच्चे भक्त थे - वैष्‍णव

आकोला (रमेश चंद्र डाड) भगवान अपने भक्त की भक्ति के वशीभूत होते है। भक्त की ओर से सच्चे मन से भगवान के किए स्मरण पर भगवान भक्त पर कृपा करने के लिए तत्पर रहते है। नरसी महता की भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति का श्रेष्ठतम उदाहरण है। नानी बाई रो मायरो की कथा भक्ति की अनुपम गाथा है। जीवन की कटु सच्चाइयों को दर्शाती कथा हमें प्रेरणा देती है।

यह विचार सोमवार को बरुन्दनी के मेला प्रांगण पर पांच दिवसीय नानी बाई रो मायरो की संगीतमय कथा के समापन पर प्रवचन करते हुए कथावाचक ओम प्रकाश वैष्णव ने प्रकट किए। उन्होंने कहा कि नरसी महता ने किसी की परवाह नही की बस अपने भगवान पर भरोसा रखा और भगवान ने भी उनके विश्वास को बनाए रखा। भगवान कृष्ण उनकी सहायता करने के लिए विविध स्वरूप धारण किए। नानी बाई का मायरा भरते हुए नरसी महता के मान सम्मान की रक्षा की।

उन्होंने कहा कि भगवान तो भाव के भूखे है उन्हे धन माया नही चाहिए। भक्त शिरोमणी ।मीरां बाई, सूरदास, भक्त प्रहलाद इसके उदाहरण है। नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाएं यह समय की सबसे बडी मांग है। मायरे की कथा के दौरान महाराज के गाए गए "भर दियो मायरो सांवरिया ", सहित अन्य भजनों पर श्रद्धालु भाव विभोर हो कर नृत्य करने लगे।

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