आज विश्व सोशल मीडिया दिवस आप भी जाने
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आज सोशल मीडिया हमारे डेली लाइफ का हिस्स बन गया है. आज के समय में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं रहते. ऐसे में क्या आपको पता है कि सोशल मीडिया को सेलिब्रेट करने के लिए एक स्पेशल दिन भी है. जिसे विश्व सोशल मीडिया दिवस के नाम से भी जाना जाता है. आज के इस लेख में सोशल मीडिया से जुड़े कुछ रोचक जानकारी के बारे में बात करने वाले हैं… जानिए भीलवाडा हलचल के बारे में भी...
विश्व सोशल मीडिया दिवस का क्या है इतिहास
दरअसल, सोशल मीडिया दिवस दुनियाभर में प्रतिवर्ष 30 जून को मनाया जाता है. इस दिन की स्थापना 2010 में मैशेबल नामक एक वैश्विक मीडिया और प्रौद्योगिकी कंपनी द्वारा की गई थी, ताकि दुनिया भर में संचार पर सोशल मीडिया के गहन प्रभाव को पहचाना जा सके. हालांकि, सोशल मीडिया की शुरुआत 1997 में सिक्सडिग्री जैसे प्लेटफॉर्म के लॉन्च के साथ हुई थी, जिसने यूजर्स को प्रोफाइल बनाने और दोस्तों से जुड़ने की अनुमति दी थी. साल 2001 में इसके दस लाख से अधिक यूजर्स हो चुके थे उसके बावजूद भी इसे बंद कर दिया गया.
मौजूदा समय का सोशल मिडिया
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया इकोसिस्टम का तेजी से विस्तार हुआ है जिसमें फेसबुक, लिंक्डइन, माईस्पेस, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, स्नैपचैट, टिकटॉक और अन्य प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म उभर कर सामने आए हैं. आज देश में तेजी से बढ़ते यूजर बेस के साथ सोशल मीडिया भारत में लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि वर्ल्ड स्टैटिक्स के अनुसार, भारतीय प्रतिदिन औसतन 2.36 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं.
जबकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को डेटा प्राइवेसी और गलत सूचना जैसे मुद्दों पर बढ़ती जांच का सामना करना पड़ रहा है, विश्व सोशल मीडिया दिवस इन डिजिटल स्थानों के सकारात्मक पहलुओं पर विचार करने और उनके उपयोग के लिए एक संतुलित, जिम्मेदार दृष्टिकोण के लिए प्रयास करने का एक अनुस्मारक है.
सोशल मीडिया दिवस का महत्व
सोशल मीडिया के माध्यम से हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति से मैसेज और वीडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ सकते हैं. वहीं एक क्लिक में दुनिया की तमाम जानकारी को सोशल मीडिया पर पा सकते हैं. जैसा कि इसका नाम है सोशल मीडिया मतलब समाज का एक माध्यम जिसके जरिए हम समाज में हो रही हर एक घटना से अवगत होते है.
सोशल मीडिया के जरिए ही सिटीजन जर्नलिजम यानी की नागरिक पत्रकारिता संभव हो पाया है. सारे पीआर एजेंसी सोशल मीडिया को हथियार की तरह यूज करते हैं. निर्भया केस के आरोपियों को सोशल मीडिया के कारण ही सजा मिल पाई. सोशल मीडिया के कारण ही साल 2014 में बेजेपी जन-जन तक पहुंची और केन्द्र में इसकी सरकार बन पाई.
एक नजर भीलवाडा हलचल पर
भीलवाड़ा का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भीलवाड़ा हलचल है, जिसने स्थानीय स्तर पर गांव और गली मोहल्लों तक लोगो को जोड़ा है आज 8 लाख से भी ज्यादा लोगो को हलचल की खबरों पर भरोसा हे, इसके YouTube channel पर भी एक लाख 35 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर जुड़े हुए हैं. जबकि अन्य सोशल मीडिया पर भी भीलवाड़ा हलचल एक्टिव है।
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