प्रवेश के लिए आयु की प्रतिबंधता निजीकरण को बढ़ावा_ शर्मा



भीलवाड़ा " नई शिक्षा नीति में पहली कक्षा में बच्चे के प्रवेश की उम्र पाँच के स्थान पर छः वर्ष की गई है।यह फैसला निजीकरण को बढ़ावा देने वाला साबित हो रहा है, राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेशाध्यक्ष नीरज शर्मा ने नई शिक्षा नीति की विसंगति के बारे में राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र देते हुए इसे सुधारने के बारे में बताया कि मात्र पहली कक्षा के बच्चे की उम्र 5 वर्ष से एक साल प्रवेश के लिए बढ़ा कर 6 वर्ष कर दी गई है, इस फ़ैसले से प्रदेश की स्कूलों में इस सत्र में पहली कक्षा संचालित होने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। पिछले सत्र में पाँच वर्ष के बच्चे का पहली कक्षा में प्रवेश हो चुका था वह इस सत्र में दूसरी कक्षा में हो चुका है। प्रदेश में इस वर्ष छः वर्ष का बच्चा बिना प्रवेश के मिलेगा यह जरूरी नहीं। चूँकि कोई भी अभिभावक एक साल इंतज़ार नहीं करेगा। इसलिए वह प्राइवेट स्कूल में ले जाकर अपने बच्चे का एडमिशन करवा देगा। इस साल किसी स्कूल में पहली कक्षा संचालित ही नहीं होगी तो अगले साल दूसरी उसके बाद तीसरी कक्षा हमारी स्कूलों में संचालित ही नहीं होगी, जिस पाँच वर्ष के बच्चे ने प्राइवेट स्कूल में प्रवेश ले लिया , क्या वह वहाँ से अगली साल सरकारी स्कूल में आकर पहली कक्षा में प्रवेश लेगा? ये क्रम आगे अनवरत चलता रहेगा। जब प्राथमिक कक्षाओं से कच्चा माल मिडिल और माध्यमिक कक्षाओं को नहीं मिलेगा तो वे कक्षाएँ भी संचालित नहीं हो सकेंगी । ऐसी स्थिति में सरकारी स्कूलों का क्या भविष्य होगा? इस सत्र में ही बड़ा दुष्परिणाम देखने को मिलेगा , बड़े स्तर पर नामांकन घटेगा, नई भर्ती की तो कोई उम्मीद ही नहीं रहेगी। सार्वजनिक शिक्षा को जल्दी से जल्दी निजीकरण से बचाने के लिए जल्दी एक प्रदेशव्यापि संघर्ष योजना जयपुर में तैयार की जाएगी जिसमें विभिन्न संगठन शामिल होंगे

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