दिव्य तपस्वी संत राष्ट्रीय आचार्य सुन्दर सागर महाराज

दिव्य तपस्वी संत राष्ट्रीय आचार्य सुन्दर सागर महाराज
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भीलवाड़ा - हाउसिंग बोर्ड में स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में धर्मसभा में दिव्य तपस्वी राष्ट्रीय संत आचार्य सुन्दर महाराज ने सुन्दर देशना के तहत उद्बोधन में बताया कि आत्मा के उत्कृष्ट भावों और गुणों से महापुरूष पूज्य होते है। भगवान की पूजा करने से भगवान पूज्य नहीं बनते बल्कि भगवान स्वयं के गुणों से उत्कृष्ट भावों से पूज्य होते है। उत्कृष्ट भाव से ही मानव का कल्याण होता है। जीवन में हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो जीवन सुन्दर हो सकता है। हम अहम् भाव शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी कमजार बनाता है, उसे त्याग देना चाहिए, भावों इनसे बचाकर रखना अधिकार, लालसा और ईर्ष्या आदि।

बुरे भाव से जीवन दुःखमय हो जायेगा और सर्वथ असफलता ही हाथ लगेगी, निर्मल, पवित्र भावों से दिया हुआ कोई कार्य शांति और आनन्द प्राप्त होता है, जिसका मन का भाव शुद्ध होता वह हमेशा सुखी रहता है, श्रेष्ठतम जीवन जीता है। शरीर संयम भाव से जीवन यापना नहीं कर सकता है, भोग विलास में जिन्दगी जीना ही बन्धन कारण बनता है।

राष्ट्रीय संत आचार्य सुन्दर सागर जी के सुन्दर प्रवचनों से अच्छी खासी श्रद्धालु (भक्तों) की भीड़ रहने लगी। श्रद्धालु को बहुत आध्यात्मिक आनन्द की अनुभूति हो रही है।

समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि धर्मसभा के प्रारंभ में बाहर से पधारे श्रावकों ने दीप प्रज्ज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट व मंगलाचरण किया।

मीडिया प्रभारी भागचन्द पाटनी ने बताया कि वर्षायोग के नियम कार्यक्रम श्रृंखला में प्रातः 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, प्रातः 08.15 बजे नियमित प्रवचन, 10.00 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, सांय 6.30 बजे शंका समाधान इसके पश्चात् गुरू भक्ति एवं आरती। अन्त में वैय्यावृति के कार्यक्रम होगें।

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