खेल मैदान बारिश के पानी से लबालब के बाद हुआ कीचड़मय, हॉकी खिलाड़ियों को अभ्यास हेतु करनी पड़ रही मशक्कत, अगले माह टूर्नामेंट की तैयारी

खेल मैदान बारिश के पानी से लबालब के बाद हुआ कीचड़मय, हॉकी खिलाड़ियों को अभ्यास हेतु करनी पड़ रही मशक्कत, अगले माह टूर्नामेंट की तैयारी
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सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ) सवाईपुर सहित क्षेत्र के बच्चो का राष्ट्रीय खेल हॉकी के प्रति बड़ा जुनून हे।लेकिन सरकार, जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते बच्चो को अभ्यास हेतु खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद खेल मैदान की दुर्दशा से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हे।राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सवाईपुर के विद्यार्थियों की राष्ट्रीय खेल हॉकी में रुचि से सर्दी,गर्मी,वर्षा में भी नन्हे बच्चो से लेकर बड़े बच्चे सुबह देर शाम तक हॉकी खेलते हे। खेल देखकर राजमार्ग से गुजरने वाले राहगीर, अधिकारीगण, जनप्रतिनिधि निहारे बिना नहीं रह सकते । कभी कभी तो अधिकारी राजमार्ग से गुजरते समय अपना वाहन रोककर बच्चो का हौसला अफजाई कर अपनी राह निकलते हैं । लेकिन सरकार की बेरुखी से ग्रामीणों,बच्चो में आक्रोश है ।

ओम प्रकाश सुथार हॉकी कोच सवाईपुर ने बताया कि सवाईपुर विद्यालय से बच्चे स्टेट, नेशनल सहित पुरुष वर्ग,महिला वर्ग में हॉकी खेल चुके है । वर्तमान बच्चो द्वारा खेल मैदान की दुर्दशा से भविष्य अंधकारमय होता दिखाई दे रहा हे।हल्की बारिश से मैदान में पानी भर जाता है।प्रशासन द्वारा मैदान में एक डेढ़ फीट मिट्टी भराव हो जावे तो बच्चो को अभ्यास में राहत मिल सकती है।

जगदीश श्रोत्रिय रिटायरमेंट शारीरिक शिक्षक का कहना हे कि मैने सेवाकाल के दौरान स्वयं,ग्रामीणों,स्टाफ की मदद से बच्चो को हॉकी कीट उपलब्ध करवाए,बच्चो को राष्ट्रीय खेल से जोड़ा जिससे सैंकड़ों बच्चो ने राज्य स्तर,राष्ट्रीय स्तर का प्रतिनिधित्व करते हुए गांव,राज्य का नाम रोशन किया हैं।पूर्व सरकार से अब तक हॉकी एस्ट्रोट्रफ की मांग की लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा हे।जिससे बच्चो को राष्ट्रीय खेल से निराश होना पड़ रहा है।

अशोक पोरवाल शारीरिक शिक्षक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सवाईपुर का कहना हे कि आगामी माह में हॉकी तुनामेंट 17,19वर्षीय छात्र, छात्रा की तैयारी चल रही हे।मेजर ध्यानचंद हॉकी मैदान के चारो तरफ ऊंचाई होने से पानी निकासी नहीं होने से जलभराव होने से खेल मैदान किचड़मय हो रहा हे।अतिशीघ्र मिट्टी भराव होकर समतलीकरण की आवश्यकता हैं।

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