भगवन शिव ही इस सृष्टि का मूल
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भीलवाडा। शहर के पुराना भीलवाड़ा स्थित बड़े मंदिर के निकट गोपाल द्वारा में श्रावण मास के पावन पर्व पर भव्य शिव महापुराण के अंतर्गत भगवान शिव के विविध स्वरूपों का वर्णन किया जा रहा है। व्यास पीठ पर विराजे परम पूज्य महंत स्वामी मणिमहेश चैतन्य महाराज (चैतन्य आश्रम मंदसौर) ने भगवान शिव के सगुण साकार एवं निर्गुण निराकार स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया की शिव ही इस सृष्टि का मूल है। जिसके सत्व, रज और तम से विष्णु, ब्रम्हा एवं महेश की उत्पत्ति हुई है जो क्रमश: सृष्टि के उत्पत्ति, पालन ओर संहार का कार्य संभालते है।
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