कलश यात्रा के साथ शुरू हुई श्री मद् भागवत कथा
भीलवाड़ा। सात दिवसीय श्रीमद्भ भागवत कथा में नारद भक्ति संवाद का निरूपण करते हुये कथावाचक विष्णु महाराज ने बताया की जिस प्रकार सुबह, दोपहर और साम के बगैर दिन अधूरा होता हैं, ठीक उसी प्रकार हमारा जीवन भी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के बैगर अधूरा हैं। जब हमारे जीवन में ये तीनो चीजे निरंतर रहेगी तभी जीव परमात्मा को प्राप्त कर सकता हैं। आजकल इस मोबाइल की दुनियां में लोगो में भक्ति तो जवान दिखती हैं पर ज्ञान और वैराग्य अचेतन अवस्था में हैं। इसीलिए आज के कलयुगी मानव का जीवन पंगु के समान हो चला हैं। नारद जैसा कोई संत सदगुरु का सानिध्य प्राप्त हो और उसके बताये पथ पर अगर लोग चले तो कलयुग के दुखों का निवारण हो सकता हैं।
आत्मदेव और धुंधली के पुत्र धुंधकारी का व्याख्यान करते हुए रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में रविवार को शुरू हुई भागवत कथा में बोलते हुए महाराज ने बताया की कलयुग में मनुष्य का मैला मन ही धुंधकारी हैं। काम, क्रोध, लोभ, मद और मोह रूपी पाँच वैश्याओ के प्रति मन हमेशा आधीन रहता हैं। इन्ही में लिप्त रहते हुए अगर मनुष्य की मृत्यु होती हैं तो यह जीव प्रेत योनी को प्राप्त करता हैं। गौकरण जेसे संत के द्वारा भागवत कथा श्रवण करने पर प्रेत योनी से मुक्त होकर के सदगति को प्राप्त करता हैं। पर यदि जीवित अवस्था में मनुष्य भागवत कथा श्रवण करके काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह जेसे विकारो को त्याग देता हैं। तब निश्चित ही उसे भगवान की शरण प्राप्त होती हैं।
कथा में विष्णु महाराज ने "मुक्ति का कोई तू जतन करले, रोज थोड़ा थोड़ा हरी का भजन कर ले" और "बरस बरस म्हारा इंदर राजा तू बरस्या मारो काज सरे" जैसे भजन कीर्तन हुए, जिस पर भक्तजन भावविभोर होकर नाचने झूमने लगे और उधर मेघ मल्हार भी बरसने लगे।
रामकन्या त्रिपाठी ने बताया की रमा विहार स्थित रामेश्वर महादेव मन्दिर प्रांगण में 4 से 10 अगस्त तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक प्रीतिबाला जौशी व उमा मित्तल के साथ ही रमा विहार की समस्त महिला मित्र मण्डली के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा हैं। इस कथा के शुभारंभ को लेकर रविवार प्रातः सुखाड़िया सर्कल स्थित शिव मन्दिर से सजेधजे 51 कलशों के साथ यात्रा शुरू हुई।